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रायपुर.
रविवार को दशलक्षण व्रत के साथ ही जैन धर्म का पर्युषण पर्व प्रारंभ हो गया. अब दस दिनों तक जैन धर्म में विश्वास रखने वाले विशेष पूजा अर्चना करेंगे.
उल्लेखनीय है कि पर्युषण का यह पर्व दस दिनों तक चलता है. इस पर्व की शुरूआत भाद्रपद मास की पंचम तिथि होती है. रविवार से शुरू हुआ पर्व अनंत चतुर्दशी तिथि तक मनाया जाएगा.
क्षमायाचना से होगा समापन. . .
पर्यूषण पर्व, जैन समाज का एक महत्वपूर्ण पर्व है. जैन धर्मावलंबी भाद्रपद मास में पर्यूषण पर्व मनाते हैं. पर्यूषण पर्व 10 दिन तक चलेगा.
10वें दिन जैन धर्म के लोगों का महत्वपूर्ण त्यौहार क्षमा वाणी महापर्व मनाया जाएगा. यह गणेश पर्व की समाप्ति यानिकि अनंत चतुर्दशी को मनाया जाता है. इस बार यह 17 सितंबर को पड़ रही है.
इस दिन यथा शक्ति उपवास रखा जाता है.पर्यूषण पर्व की समाप्ति पर क्षमायाचना पर्व मनाया जाता है. दस दिनों के पर्युषण को जैन धर्म के लोग काफी महत्वपूर्ण त्योहार मानते हैं.
जैन धर्म में पर्युषण को पर्वों का राजा कहा जाता है. ये पर्व भगवान महावीर स्वामी के मूल सिद्धांत अहिंसा परमो धर्म, जिओ और जीने दो की राह पर चलना सिखाता है. साथ ही मोक्ष प्राप्ति के द्वार खोलता है.
इस महापर्व के जरिए जैन धर्म के अनुयायी उत्तम क्षमा, उत्तम मार्दव, उत्तम आर्जव, उत्तम सत्य, उत्तम संयम, उत्तम तप, उत्तम त्याग, उत्तम ब्रह्मचर्य के जरिए आत्म साधना करते हैं.
पर्युषण पर्व की अवधि. . .
जैन धर्म में पर्युषण को दशलक्षण के नाम से भी जाना जाता है. दरअसल, जैन धर्म में दो क्षेत्र हैं. एक दिगंबर और दूसरा श्वेतांबर.
श्वेतांबर समाज 8 दिन तक इस त्योहार को मनाते हैं, जिसे अष्टान्हिका कहा जाता है. वहीं दिगंबर समाज जैन दस दिन तक पर्युषण पर्व को मनाते हैं, जिसे दसलक्षण कहते हैं. इस दौरान लोग ईश्वर के नाम पर उपवास करते हैं और पूजा अर्चना करते हैं.
जैन धर्म में उपवास यानी व्रत पर्युषण पर्व का एक महत्वपूर्ण अंग है. हिंदू धर्म के नवरात्रि की तरह ही ये त्योहार मनाया जाता है. शक्ति और भक्ति के अनुसार केवल एक दिन या उससे अधिक की अवधि तक व्रत रखा जा सकता है.
जैन धर्म के पांच सिद्धांतों पर पर्युषण आधारित हैं. जैसे- अहिंसा यानी किसी को कष्ट ना पहुंचाना, सत्य, चोरी ना करना, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह यानी जरूरत से ज्यादा धन एकत्रित ना करना. मान्यताओं के अनुसार, पर्युषण पर्व के दौरान जैन धर्मावलंबी ग्रंथों का पाठ करते हैं.
पर्व के दौरान कुछ लोग व्रत भी रखते हैं. पर्युषण पर्व के दौरान दान करना सबसे ज्यादा पुण्य का काम माना जाता है.
पर्व की शुरूआत से समापन तक अपने लोगों से अब तक जाने अनजाने में हुई गल्तियों पर माफी भी मांगने की परंपरा है. इस परंपरा का निर्वहन करते हुए समाचार संकलन, सँपादन अथवा प्रकाशन में हुई गल्तियों के लिए टीम नेशन अलर्ट समाज से माफी माँगती है.