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राजोद.
नागौर जिले और अजमेर सँभाग अंतर्गत आने वाले राजोद गाँव में माँ माजीसा का धाम है. इस धाम पर माजीसा के अवतरण दिवस पर नृत्य स्पर्धा आयोजित की जा रही है.
उल्लेखनीय है कि प्रत्येक हिंदू वर्ष के भादों माह की शुक्लपक्ष की सातम तिथि को माँ माजीसा का अवतरण दिवस मनाया जाता है. इस दौरान माजीसा माँ को लापसी, चूरमा आदि का भोग अर्पित किया जाता है.
इस दिन माजीसा माँ की विशेष पूजा अर्चना होती है. माजीसा के कई धामों पर जम्मा जागरण के भी कार्यक्रम होते हैं. ऐसा ही कुछ इस बार माजीसा धाम राजोद में होना तय हुआ है.
कहाँ पड़ता है माजीसा का राजोद धाम . . ?
राजस्थान राज्य के नागौर जिले में एक तहसील का नाम जायल है. यह जिला मुख्यालय नागौर से 50 किलोमीटर की दूरी पर पूर्व की ओर स्थित है.
जायल से 9 किलोमीटर की दूरी पर राजोद गाँव स्थित है. अजमेर सँभाग का यह गाँव राज्य की राजधानी जयपुर से 196 किलोमीटर दूर है. राजोद गाँव के ही निवासी कैप्टन सज्जन सिंह के घर पर माँ माजीसा का धाम है.
ज्ञात हो कि तकरीबन पूरी की पूरी जायल तहसील ही अपने मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है. जायल तहसील के ही तवरा गाँव में कई मंदिर स्थित हैं.
वहाँ पर वीर तेजाजी, बिग्गाजी, रामदेव जी, हरिराम जी, शिवजी, हनुमान जी, कृष्ण जी आदि के सुप्रसिद्ध मंदिर हैं. शिक्षा के क्षेत्र में भी पूरा अँचल जागरूक है.
राजोद से तकरीबन 15 किमी की दूरी पर गाँव कठौती है जो पुराने मंदिरों व मस्जिद के लिए प्रसिद्ध है. यहाँ अकबरकालीन मस्जिद के अलावा माता लिकाषन का मंदिर है.
राजोद से ही थोडी़ दूर पर जायल के छापरा गाँव में हरिराम बाबा का प्रसिद्ध मंदिर है. छापरा में ही एक प्रसिद्ध क्रिकेट मैदान भी है.
दरअसल, राजोद ग्राम पंचायत नागौर जिला परिषद के जायल पंचायत समिति में एक ग्रामीण स्थानीय निकाय है. राजोद ग्राम पंचायत के अधिकार क्षेत्र में कुल 4 गाँव हैं. पँचायत मुख्यालय राजोद के अलावा धनाणी, धतियाड़, बोडिंदकलाँ जैसे गाँवों की स्थानीय भाषा मारवाडी़ है.
राजोद की कुल आबादी 3505 है. घरों की संख्या 587 है. महिला आबादी 49.4 फीसद है. गाँव की साक्षरता दर 51.2 प्रतिशत है जबकि महिला साक्षरता दर 18.5 फीसद है.
कैप्टन सज्जन सिंह चौहान जिस राजोद के निवासी हैं उसका पिन कोड 341023 है. डाक मुख्यालय जायल है. कैप्टन साहेब को माँ करणी का वरदहस्त प्राप्त है.
राजोदवासी कैप्टन सज्जन की धर्मपत्नी श्रीमती भँवरकँवर बाईसा को माँ माजीसा का पधारा होता है. यह धाम तकरीबन एक दशक पुराना है.
प्रत्येक माह की दूज, सातम, नवमीं और तेरस को माँ माजीसा के साथ साथ माँ करणी की भी जोत होती है. अवतरण दिवस पर सुबह माजीसा और करणी माँ की नियमित पूजा अर्चना होगी.
इसके बाद मुख्य कार्यक्रम सँध्या के समय रखे गए हैं. गाँव के बच्चों में प्रतिस्पर्धा की भावना बढा़ने के लिए नृत्य स्पर्धा आयोजित होगी.
माँ माजीसा और करणी माँ की सेवा में जुटी महिलाओं के लिए भी भजन गायन व नृत्य स्पर्धा का आयोजन होना है. चौहान परिवार के साथ मिलकर गाँव के माजीसा भगत तैयारियों को अँतिम रूप देने में लगे हुए हैं.