74.130 हेक्टेयर क्षेत्र में खड़े 10,944 पेड़ काटे जा रहे
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सरगुजा.
शहादत . . . इस शब्द से छत्तीसगढ़ के आम नागरिक भलीभांति परिचित हैं. एक ओर नक्सल प्रभावित क्षेत्र में तैनात जवान शहीद होते रहे हैं तो दूसरी ओर अपनी हरियाली को शहीद करने का फैसला राज्य सरकार ने स्वयं लिया है. कोयले के लिए 10,944 पेड़ आने वाले समय में “शहीद” हो जाएंगे.
उल्लेखनीय है कि हसदेव अरंड क्षेत्र में परसा ईस्ट और केते बासेन (पीईकेबी) चरण – दो कोयला खदान के लिए पेड़ों की कटाई की अनुमति का भोलेभाले आदिवासी नागरिक पूर्ववत विरोध कर रहे हैं. दरअसल, 1,136 हेक्टेयर वन भूमि की अनुमति
मिलने से नागरिक चिंता में हैं.
सरगुजा वनवृत्त द्वारा परियोजना के 10 वें वर्ष में यह अनुमति दी गई है. अनुमति के दायरे में 74.130 हेक्टेयर वन भूमि के क्षेत्र में खड़े 10,944 पेड़ आते हैं.
पीईकेबी खदान राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (आरआरवीयूएनएल) को आवंटित है. राज्य वन विभाग द्वारा इस सँबंथ में एक बयान जारी किया गया था. जिसमें उदयपुर विकास खंड में प्रस्तावित 74.130 हेक्टेयर वन भूमि में कटाई का उल्लेख है.
हरेभरे जँगल का यह इलाका पीईकेबी चरण – दो खदान के लिए आबंटित 32 हेक्टेयर क्षेत्र में आता है. बयान अनुसार शुक्रवार तक 3,694 पेड़ काटे जा चुके थे.
अधिकारिक जानकारी मुताबिक 21अगस्त को अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक (उत्पादन) छत्तीसगढ़ द्वारा अनुमति दी गई थी. 22 अगस्त को मुख्य वन संरक्षक, सरगुजा वनवृत्त द्वारा परियोजना के 10 वें वर्ष में 74.130 हेक्टेयर भूमि के क्षेत्र में खड़े 10,944 पेड़ों की कटाई की अनुमति दी गई.
प्राप्त जानकारी के अनुसार 74.130 हेक्टेयर वन भूमि के क्षेत्र के सँबंथ में अनुमति दी गई है. इसमें 10,944 पेड़ों की कटाई और परिवहन की अनुमति वन रेंज अधिकारी, उदयपुर (उत्पादन) को मिली है.
हसदेव अरंड बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले स्थानीय ग्रामीण कई वर्षों से खदानों के आवंटन का विरोध कर रहे हैं. छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन (सीबीए) के संयोजक आलोक शुक्ला इस पूरे मामले से बेहद निराश हैं.
निराशा भरे सुरों में शुक्ला कहते हैं कि छत्तीसगढ़ विधानसभा ने 2022 में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया था. तब प्रदेश में काँग्रेस की सरकार हुआ करती थी.
शुक्ला के अनुसार हसदेव क्षेत्र में खनन गतिविधियां नहीं की जाएंगी यह प्रस्ताव पारित हुआ था. इसके बावजूद सरकार ने भारी सुरक्षा बल तैनात करके पेड़ों की कटाई शुरू कर दी.
शुक्ला यह भी दावा करते हैं कि विरोध करने वाले ग्रामीणों को पुलिस ने हिरासत में लिया. हम इस कार्रवाई की कड़ी निंदा करते हैं और वनों की कटाई को तुरंत रोकने की मांग करते हैं.
” किसी ग्रामीण को हिरासत में नहीं लिया गया है. सुरक्षा के मद्देनजर कटाई वाले स्थान से ग्रामीण दूसरी जगह भेजे गए हैं.”
- योगेश पटेल,
पुलिस अधीक्षक सरगुजा.