राजनांदगांव।
5 मई 2016, मां बम्लेश्वरी देवी मंदिर की पहाड़ में भयंकर आग ने कई दुकानों को राख कर दिया. हादसे की वजह एक शार्ट सर्किट था. लाखों का नुकसान हुआ. भरपाई कौन करेगा ये तो बाद का विषय है लेकिन इस घटना के बाद पहली ऊंगली मंदिर को संचालित कर रही ट्रस्ट पर उठ रही है.
छत्तीसगढ़ में मां बम्लेश्वरी के दशर्न की महत्वता इतनी ज्यादा है कि साल की सिर्फ दो नवरात्रि में ही यहां लाखों श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं. साल भर का आंकड़ा तो दूर की बात है. और इस तौर पर अगर यहां व्यवस्था की बात करें तो उसका परिणाम सामने है.
बोलने में थोड़ा असहज है लेकिन सत्य यही है कि श्रद्धालुओं की आस्था से परे मंदिर ट्रस्ट ने अब तक महज रकम गिनी है, आपदाएं नहीं. जब शुक्रवार को आगजनी की घटना हुई तो उसे काबू करने के लिए फौरी तौर पर कोई संसाधन था ही नहीं. और अब इसी मुद्दे को लेकर बहस छिड़ गई है. जाहिर तौर पर इसमें ट्रस्ट की अनदेखी, लापरवाही और स्वार्थ को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं.
ऊपर मंदिर के नीचे 100 से ज्यादा दुकानें संचालित हैं वहीं सीढिय़ों में 400 दुकानें लगती हैं. इन सभी दुकानों से ट्रस्ट किराया वसूलता है जो कि सालाना लगभग 30 लाख रुपए होता है. प्रति दुकान 5 सौ रुपए. इतना ही नहीं नवरात्र के दौरान उनसे हजार रुपए की वसूली अलग होती है.
यानि कि महज दुकानों से मिलने वाला राजस्व तकरीबन 35 लाख रुपए होता है. श्रद्धालुओं का चढ़ावा अलग. वहीं मंदिर ट्रस्ट की नीतियां और मान्यताएं भी बेहद विपरित हैं जिसे लेकर गाहे-बेगाहे बहस होती रही है.
प्रभावित दुकानदारों को मुआवजा देने की बात पर ट्रस्ट अपना रुख साफ कर चुका है. उन्होंने फिर से दुकान बना कर देने की बात कही है लेकिन मुआवजे के लिए प्रभावितों को शासन के भरोसे ही रहना होगा. दूसरी ओर इतनी बड़ी आगजनी की घटना के बाद अब ट्रस्ट कुंआ खोदने की तैयारी कर रहा है.