रायपुर।
छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में जीत का फार्मूला अब तक कांग्रेस नहीं ढूंढ पाई है। कभी अंदरुनी खींचतान तो कभी जनता से दूरी.. और काबिल नेतृत्व-प्रबंधन की कमी कांग्रेस की सबसे बड़ी कमजोरी है। लेकिन शायद अब ऐसा न हो। कांग्रेस हाईकमान ने तय कर लिया है कि सबसे पहले प्रदेश के प्रभारियों में फेरबदल किया जाए।
दिल्ली में एमसीडी चुनाव हार के एक सप्तााह पहले से ही कांग्रेस में बड़ी सर्जरी की तैयारी कर ली गई थी। ये जरूर है कि ये सर्जरी उस तेजी से नहीं हुई, नहीं तो इसमें कई बड़े नेताओं पर बड़ा झटका लग सकता था।
कांग्रेस सूत्रों की माने तो अब एक बार फिर पार्टी में बड़ी सर्जरी करने की तैयारी हो गई है और इस बार फिर नंबर उन नेताओं का है जिनके प्रभार वाले प्रदेशों में कांग्रेस की हार हो रही है और आने वाले वर्षों में इन प्रदेशों में विधानसभा चुनाव होने हैं।
इसे देखते हुए यहां के प्रभारी महासचिवों को हटाने की बात करीब-करीब तय है। अब अगर 24 अकबर रोड पर ही कोई बड़ा चमत्कार हो जाए तो इन नेताओं की कुर्सी बच सकती है।
महासचिव दिग्विजय सिंह और गुरूदास कामत के प्रभार हटाने के बाद अब नंबर मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के प्रभारियों का है। दोनों ही प्रदेशों में तीन बार से कांग्रेस की हार हो रही है, इतना ही नहीं छोटे स्तर के चुनावों में भी इन प्रभारियों की रणनीति असफल रही है।
मध्यप्रदेश में जहां प्रभारी के तौर पर मोहन प्रकाश के पास काम है वहीं छत्तीसगढ़ में बीके हरिप्रसाद प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी के तौर पर काम देख रहे हैं। हरिप्रसाद के पास पहले मध्यप्रदेश का भी प्रभार था लेकिन वहां से उन्हें पहले ही हटाया जा चुका है अब सिर्फ छत्तीसगढ़ का प्रभार है।
दिल्ली के कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि इस समय राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी धीरे-धीरे अपनी पसंद के लोगों को पद दे रहे हैं वहीं बेहतर काम नहीं करने वालों को धीरे-धीरे किनारे लगा रहे हैं।
हालांकि किनारे लगाने वाले नेताओं की नाराजगी ना हो इसके लिए उनसे जुड़े लोगों को जरूर पद देकर काम सौंपा जा रहा है। इसका ताजा उदाहरण कुछ समय पूर्व हुई नियुक्तियों में देखा जा सकता है। फिलहाल मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ को लेकर तो बात निकलकर सामने आ रही है उसमें यह तय माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में दोनों ही प्रदेशों में प्रभारियों को काम से मुक्त किया जा सकता है।
अब राहुल की चलेगी
गौर हो कि मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में तीन बार से लगातार कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ रहा है। वहीं दोनों ही प्रदेशों में पार्टी का एक धड़ा प्रदेश प्रभारियों के काम को लेकर नाखुश है, ऐसे में यह नाराजगी दिल्ली तक पहुंच रही है।
मिशन 2018 को लेकर अब किसी भी तरह की कोई दिक्कत ना हो इसके लिए राहुल गांधी अपने फार्मूले को लेकर काम करने लगे हैं। यही कारण है कि दोनों ही प्रदेशों के प्रभारियों को बदलकर यहां नए चेहरों से काम लिया जाएगा। प्रदेश में ऐसे प्रभारियों को भेजा जाएगा जहां वे प्रभावशाली नेताओं के साथ तालमेल कर सकें और विधानसभा चुनाव में बेहतर रिजल्ट दे पाएं।
नाराजगी की जायज वजह है
मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ में दोनों ही प्रदेश प्रभारियों को लेकर नाराजगी है, हालांकि ये खुले तौर पर नहीं है लेकिन अंदर ही अंदर एक गुट विशेष को आगे बढ़ाने की बात दोनों ही नेताओं को लेकर चर्चा में रहती है। वहीं मध्यप्रदेश में विधानसभा टिकट बंटवारे को लेकर भी मोहन प्रकाश का नाम खासा चर्चा में रहा। इसी तरह बीके हरिप्रसाद भी छत्तीसगढ़ में पदों के बंटवारे को लेकर चर्चाओं में रहे हैं।