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बिलासपुर/रायपुर.
राज्य के एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) और आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) द्वारा दायर की गई क्लोजर रिपोर्ट आईपीएस के लिए अच्छी – बुरी खबर लेकर आई है. दरअसल, इस रिपोर्ट से जहाँ रिटायर्ड आईपीएस मुकेश गुप्ता व बिलासपुर एसपी रजनेश सिंह के लिए राहत भरी खबर निकली है वहीं एक समय एसीबी चीफ रहे आईपीएस जीपी सिंह के लिए रपट परेशानी भरी हो सकती है.
मामले को भाजपा, काँग्रेस और फिर भाजपा सरकार के समय से जोड़कर देखने वाले बताते हैं कि एसीबी की क्लोजर रिपोर्ट आईपीएस जीपी सिंह की सँभावनाओं को ही क्लोज न कर दें. जीपी पहले भाजपा सरकार और फिर बाद में काँग्रेस सरकार के बेहद नजदीक रह चुके हैं.
क्या वाकई जीपी ने गवाहों को धमकाया था ?
राज्य सरकार की रिपोर्ट में यह उल्लेख किया गया है कि एसीबी और ईओडब्लू के तत्कालीन निदेशक जीपी सिंह ने गवाहों पर दबाव डाला और धमकी दी थी. आरोप है कि उन्होंने ही गवाहों से बयान अपने मन मुताबिक कराए, अन्यथा गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी थी.
मतलब आईपीएस जीपी सिंह के लिए यह क्लोजर रिपोर्ट बडी़ भारी परेशानी खडी़ कर सकती है. यह वही जीपी सिंह हैं जिन्हें पहले काँग्रेस ने सरकार में रहते हुए अच्छी पोष्ट दी और फिर बाद में अनगिनत आरोप लगाते हुए जेल भी भेज दिया था.
क्लोज़र रिपोर्ट में एसीबी ने कोर्ट को बताया कि बगैर अनुमति के इंटरसेप्शन का आरोप पूरी तरह निराधार है. रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि जो भी इंटरसेप्शन हुआ, वह कानूनी और वैध तरीके से किया गया था.
रिपोर्ट के अनुसार, एसीबी ने जिन धाराओं में अपराध दर्ज किया, उन धाराओं में अपराध दर्ज करने का अधिकार ही नहीं था. बताया गया है कि एसआईटी का गठन बिना कोर्ट की अनुमति के किया गया और इसका इस्तेमाल आदेश की अवहेलना के रूप में किया गया.
क्लोज़र रिपोर्ट के साथ पेश किए गए पत्र में एसीबी ने अदालत से दोनों एफआईआर को खारिज करने की सिफारिश की है. इन एफआईआर के तहत मुकेश गुप्ता और रजनेश सिंह पर विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए थे, जिसमें आरोप था कि इन्होंने अवैध तरीके से कॉल इंटरसेप्शन किया. इसके आधार पर ही कार्रवाई की गई थी.
अब जबकि आईपीएस (रिटायर्ड) मुकेश गुप्ता और आईपीएस रजनेश सिंह के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों में सीजेएम कोर्ट में एसीबी ने एक क्लोज़र रिपोर्ट पेश करते हुए जहाँ गुप्ता और सिंह को राहत दी है वहीं जीपी सिंह के लिए नई परेशानी खडी़ कर दी है.
ज्ञात हो कि राज्य की तत्कालीन कांग्रेस सरकार में आईपीएस मुकेश गुप्ता और आईपीएस रजनेश सिंह के लिए अच्छे दिन नहीं रहे थे. दोनों पर अपराधिक प्रकरण दर्ज करने का काम काँग्रेसी सरकार के ही समय हुआ था.
इस काम को आईपीएस जीपी सिंह ने अँजाम दिया था जोकि उस समय एसीबी – ईओडब्यू के चीफ हुआ करते थे. न जाने ऐसा क्या कुछ हुआ कि कभी आँखों के तारे रहे जीपी, काँग्रेसी सरकार की आँखों को ही खटकने लगे थे.
जिस एसीबी में जीपी के नाम का डँका बजा करता था उसी एसीबी ने बाद में अनगिनत मामलों में पहले छापा डाला और फिर बाद में उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. लँबे समय तक आईपीएस जीपी जेल में ही बँद रहे थे.
बाद में ले देकर जमानत मिली भी तो जीपी सिंह फोर्सली रिटायर्ड कर दिए गए. जीपी ने इसे कैट में चुनौती दी थी. बडे़ लँबे समय के बाद जब जीपी के लिए कैट से अच्छी खबर आई थी कि उनके रिटायर्डमेंट को खारिज करते हुए कैट ने पुन: सेवा में बहाल कर दिया तो अब एसीबी की क्लोजर रिपोर्ट नया बखेडा़ खडा़ कर सकती है.