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नारायणपुर.
बहनों ने रक्षाबँधन पर्व पर अपने बडे़ भाई ( कलेक्टर ) को जो पत्र लिखा वह अब सुर्खियाँ बन गया है. दरअसल, इस पत्र में गाँव की महिलाओं ने कलेक्टर को अपना बडा़ भाई बताते हुए लिखा है कि उनके भाँजे भाँजियाँ झोपडी़ में पढ़ने मजबूर हैं क्यूं कि गाँव में बीते 14 सालों से शाला भवन का अभाव बना हुआ है.
यह पत्र और उसे लिखने वाली महिलाएँ ग्राम कुंडोली की है. नारायणपुर जिले में शामिल इस गाँव को देश दुनियाँ में अबूझमाड़ इलाके के हिस्से के रूप में जाना जाता है.
गिनाई समस्याएँ, माँगी सुविधाएँ . . .
ग्राम कुंडोली की महिलाओं ने इस रक्षाबंधन पर कलेक्टर को राखी के साथ पत्र भेजा था. पत्र में उन्होंने लिखा कि “आप हमारे बड़े भैया से भी बढ़कर हैं.”
उन्होंने इसके साथ विश्वास जताया है कि कलेक्टर महोदय उनकी राखी को स्वीकार कर सौगात के तौर पर गांव की बुनियादी समस्याओं का समाधान करेंगे.
गाँव की माँ अन्नपूर्णा महिला स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने कलेक्टर को राखी के साथ भेजे पत्र में गाँव की बुनियादी समस्याओं की ओर ध्यान आकर्षित किया है.
आदिवासी महिलाओं ने बताया कि उनका गांव जिला मुख्यालय से काफी दूर स्थित है. यहाँ तक पहुंचना बहुत कठिन है.
कलेक्टर को लिखे पत्र में इन महिलाओं ने लिखा है कि गाँव में पिछले 14 वर्षों से शाला भवन की कमी के कारण बच्चों को झोपड़ी में पढ़ाई करनी पड़ रही है. गाँव में पीने के पानी की भी गंभीर समस्या है, जिससे ग्रामीणों को कठिनाई का सामना करना पड़ता है.
इसके साथ महिलाओं ने आंगनबाड़ी की सुविधा की भी माँग की है, जो कि बच्चों के पोषण और शिक्षा के लिए अति आवश्यक है.
दरअसल, कुंडोली गांव नक्सल प्रभावित है. यह पहुँचविहीन इलाका है, जहां आज भी लोग बुनियादी सुविधाओं से वँचित हैं.
पत्र लिखकर अपने बेटे-बेटियों, याने कलेक्टर से अपने भाँजे-भाँजियों के लिए शाला भवन, पीने के पानी और आंगनबाड़ी की सुविधा की मांग की है.