राजनांदगांव। छत्तीसगढ़ प्रदेश शिक्षक फेडरेशन के प्रांताध्यक्ष राजेश चटर्जी, प्रांतीय प्रमुख महामंत्री सतीश ब्यौहरे, जिला संरक्षक मुकुल साव, जिला अध्यक्ष पीआर झाड़े, पीएल साहू, जितेंद्र बघेल, बृजभान सिन्हा, वीरेन्द्र रंगारी, शिरीष कुमार पांडे, हेमंत कुमार पांडे, पुष्पेन्द्र साहू, उत्तम डड़सेना, द्रोण साहू, श्रीमती सीमा तरार, श्रीमती यामिनी साहू, रमेश साहूए संजीव मिश्रा, श्रीमती संगीता ब्यौहरे, श्रीमती अभिषिक्ता फंदियाल, स्वाति वर्मा, सुधांसु सिंह, सोहन निषाद, अब्दुल कलीम खान, सीएल चंद्रवंशी, राजेन्द्र देवांगन एवं सीआर वर्मा का कहना है कि नई शिक्षा नीति, पढ़ने के बजाय सीखने पर फोकस करती है। नई शिक्षा नीति का उद्देश्य स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों के विद्यार्थियों को प्रेरित कर उनमें पाठ्यक्रम से और आगे बढ़कर गहन सोच उत्पन्न करना है। विषय ज्ञान से प्रशिक्षित शिक्षकों के द्वारा उनके आंतरिक योग्यता को विकसित करना है, लेकिन युक्तियुक्तकरण नीति के दिशा निर्देश एनईपी के उद्देश्यों के अनुरूप नहीं है। उन्होंने बताया कि प्राथमिक शिक्षा स्तर में 5 कक्षा है। कक्षा 3 से 5 तक हिंदी, अंग्रेजी, गणित और पर्यावरण विज्ञान 4 विषयों को पढ़ाया और सिखाया जाना है, जिसके लिये न्यूनतम 5 शिक्षकों की आवश्यकता है। सेटअप-2008 में 1 प्रधानपाठक और 2 शिक्षक का पद था, लेकिन युक्तियुक्तकरण नीति के दिशा निर्देश अनुसार अब 1 प्रधानपाठक और 1 शिक्षक तथा दर्ज संख्या के आधार पर शिक्षक संख्या का निर्धारण किया गया है, जिसके कारण विद्यार्थियों को विषय शिक्षक के द्वारा शिक्षा लाभ से वंचित होना पड़ेगा।
उन्होंने बताया कि मिडिल शिक्षा स्तर में कक्षा 6-8 की कक्षाओं की पढ़ाई होती है। इन कक्षाओं में विषय आधारित पाठ्यक्रम पढ़ाया जाता है। एनईपी में 11 से 14 साल की उम्र के बच्चों के लिए कौशल विकास कोर्स शुरू करना है। सेटअप-2008 में 1 प्रधानपाठक और 4 शिक्षक का पद स्वीकृत था, लेकिन अब 1 प्रधानपाठक और 3 शिक्षक रहेंगे तथा दर्ज संख्या के आधार अतिरिक्त शिक्षक रहेंगे। गौरतलब है कि मिडिल स्कूल में 6 विषय पढ़ाना है।
उन्होंने बताया कि हाईध्हायर सेकेंडरी स्तर पर क्लास 9 से 12 की पढ़ाई दो स्टेज में होती है। क्लास 9-10 में सभी 6 विषयों का अध्ययन कराया जाता है। क्लास 11-12 में विषयों को चुनने की आजादी होती है। सभी विषय एवं कक्षा के लिये शिक्षकों की पदस्थापना आवश्यक है, लेकिन विषय शिक्षक नहीं रहने की स्थिति में अन्य शिक्षक-व्याख्याता, ग्रेजुएशन-पोस्ट ग्रेजुएशन के शैक्षणिक योग्यता अनुसार पढ़ाते हैं। युक्तियुक्तकरण नीति बनाते समय इन तथ्यों को ध्यान में नहीं रखा गया है।
फेडरेशन के पदाधिकारियों के अनुसार प्रदेश में कम से कम 20000 से ज्यादा मिडिल और प्राइमरी स्कूल है। वर्तमान में मिडिल स्कूल का सेटअप 1 प्रधानपाठक व 4 शिक्षक की है। इस सेटअप को परिवर्तित को अभी विभाग के द्वारा 1 प्रधानपाठक +3 शिक्षक कर दिया है। जिससे हर एक स्कूल से 1 पद हमेशा के लिए स्कूल शिक्षा विभाग से खत्म हो जाएगा। यही प्राइमरी स्कूल के सेटअप में भी किया गया है, वहां वर्तमान में 1+2 का सेटअप है। इसको बदलकर 1+1 का सेटअप किया जा रहा है, जिससे प्राइमरी स्कूल का भी एक पद समाप्त हो जाएगा। इस हिसाब से लगभग 20000 पद एक झटके में खत्म हो जायेंगे।
इसके साथ ही साथ ऐसे स्कूल जिनमें बच्चो को संख्या 10 से कम है, वह स्कूल पूरी तरह से बंद हो जायेगा। 10 से कम बच्चे वाले स्कूल की संख्या कम से कम 4000 के आसपास बताई जा रही है। स्कूल बंद होने से स्कूल का सभी पद हमेशा के लिए शिक्षा विभाग से खत्म हो जायेगा। इसमे कम से कम 400033=12000 पद समाप्त हो जायेगा। इस तरह टोटल 20000+12000=32000 शिक्षकों का पद एक साथ खत्म हो जायेंगे। इससे प्रमोशन और सीधी भर्ती के पद समाप्त होंगे।
साथ ही साथ स्कूल बंद होने से वहां पर काम करने वाले रसोइया, स्वीपर एवं अन्य भी बेरोजगार हो जायेंगे। मध्यान्ह भोजन चलाने वाले समिति से भी उनका काम छीन जायेगा। स्कूल बंद होने से बच्चों को दूर के स्कूल जाना पड़ेगा, जो कि प्राइमरी के बच्चों के लिए संभव नहीं है। युक्तियुक्तकरण नीति का प्रभाव शिक्षक, विद्यार्थी, स्वीपर, रसोइया, मध्यान्ह भोजन समिति पर विपरित प्रभाव पड़ेगा।
फेडरेशन के पदाधिकारियों का कहना है कि युक्तियुक्तकरण नीति अनुसार यदि एक ही परिसर में प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालय है तो वह पूर्व माध्यमिक विद्यालय में समायोजित हो जायेगा अर्थात वहां का प्राथमिक प्रधान पाठक महज एक शिक्षक हो जाएगा। इसका परिणाम यह होगा कि भविष्य में एक पद इस तरह विलुप्त हो जायेगा। इसी तरह जहां पूर्व माध्यमिक व हाईस्कूल एक ही परिसर में हैं, वह हाईस्कूल प्राचार्य के निरीक्षण में रहेगा। प्रधानपाठक महज एक शिक्षक रह जायेगा, जहां प्राथमिक, हाईस्कूल या हायर सेकेंडरी स्कूल है, वहां के प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक प्रधान पाठक महज एक शिक्षक रह जायेगा। ऐसे में प्रधानपाठक पद नाम मात्र का रह जायेगा।
दिशा-निर्देश के चलते एक ही परिसर में संचालित एक से अधिक विद्यालय के समायोजन से चाहे वह पीएस+एमएस हो या एचएस-एचएसएस के यूडीआईसीई एक हो जाने से समग्र शिक्षा के नाम पर मिलने वाले फंड भी तदानुसार एक परिसर के लिए एक होने की संभावना है। युक्तियुक्तकरण नीति में विद्यार्थी शिक्षक और पालक हित को नजरअंदाज किया गया है। नीति के दिशा-निर्देश से शिक्षा व्यवस्था में सभी प्रकार का आर्थिक और सामाजिक दुष्प्रभाव पड़ेगा।
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