नई दिल्ली।
मीडिया कर्मियों और मीडिया हाऊसेस के बीच मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों को लेकर छिड़ी जंग अब अपने अंतिम दौर में है. सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में चल रही सुनवाई पूरी हो चुकी है और इंतजार अब बस फैसले का है.
प्रिंट मीडिया के कर्मियों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ न देने पर चल रही अवमानना मामले की सुनवाई आज पूरी हो गई. कोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया है.
इसके पहले जस्टिस रंजन गोगोई की अदालत के सामने मीडिया मालिकों व मीडियाकर्मियों के पक्षों के वकील उपस्थित हुए और अपने अपने तर्क रखे. पूरी सुनवाई के बाद विद्वान न्यायाधीश ने सुनवाई पूरी होने और फैसला सुरक्षित किए जाने की घोषणा की.
अब देखना है कि ये फैसला कब आता है. पीडि़त मीडियाकर्मियों में इस बात की तो खुशी है कि सुनवाई पूरी हो गई. लेकिन वे आशंकित हैं कि कहीं फैसला आने में महीनों न लग जाए.
मालिकों को टांगे जाने के आदेश हो सकते हैं..
सैकड़ों मीडियाकर्मियों की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में मजीठिया वेज बोर्ड अवमानना मामले की लड़ाई लड़ रहे एडवोकेट उमेश शर्मा का कहना है कि अदालत का फैसला जल्द आएगा और इस फैसले में कुछ अखबार मालिकों को टांगे जाने के आदेश भी हो सकते हैं.
श्री शर्मा के मुताबिक कई राज्यों के श्रम आयुक्तों ने बड़े अखबार मालिकों के हित को ध्यान में रखते हुए मेनुपुलेटेड रिपोर्ट बनाई है जिसके कारण संभव है दैनिक भास्कर और दैनिक जागरण जैसे समूहों के मालिक बच जाएं.
हालांकि ये भी संभव है कि कुछ लोगों को अवमानना मामले में दंडित करने के साथ साथ कोर्ट कोई कमेटी गठित कर दे जिसमें आगे आने वाले और वर्तमान के मामलों की केस टू केस बेसिस पर सुनवाई हो सके. एडवोकेट शर्मा कहते हैं कि फैसला जो आएगा वह मूलत: मीडियाकर्मियों के ही हित में होगा लेकिन अदालत यह भी ध्यान रखेगी कि कहीं उसके फैसले से मीडिया प्रबंधन का इतना नुकसान न हो जाए जिससे अखबारों के प्रकाशन पर असर पड़े.
कुल मिलाकर ऐसा प्रतीत होता है कि फैसला थोड़ा मीडियाकर्मियों और थोड़ा मालिकों के पक्ष में होगा. लेकिन उन मीडियाकर्मियों को सीधा और पूरा लाभ मिलेगा जिन्होंने केस किया हुआ है और क्लेम किया हुआ है.