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भोपाल/सिहोर. जार्डन की सरकार द्वारा प्रधानमंत्री कार्यालय में की गई शिकायत अब नया रूप ले चुकी है. आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्यू ) ने उच्च स्तरीय निर्देश पर जब छापा डाला तब पता चला कि जयश्री गायत्री फूड प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी जार्डन को ही नहीं बल्कि 27 देशों में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कारोबार कर रही थी. ऐसी गड़बड़ी पकडे़ जाने से प्रदेश सहित देश के आला अधिकारियों में खलबली बताई जाती है.
दरअसल, कंपनी के भोपाल व सिहोर स्थित दफ़्तर और फैक्ट्री में प्रदेश की ईओडब्यू ने 31 जुलाई को छापा डाला था. पहले तो इसे सामान्य कार्रवाई समझा जा रहा था लेकिन जैसे जैसे जानकारी निकल कर मीडिया तक पहुँच रही है जिम्मेदार अधिकारी और कंपनी के कर्ताधर्ताओं के मुँह सिले जा रहे हैं.
कौन हैं किशन मोदी . . ?
कंपनी दूध के प्रोडक्ट तैयार कर उन्हें विदेशों में भेजती है. जार्डन भी उन 27 देशों में शामिल है जहाँ कंपनी द्वारा तैयार पनीर, मक्खन अथवा घी जैसी चीजें बिक्री के लिए मध्यप्रदेश से निकल कर भेजी जाती हैं.
इस कंपनी का मालिक किन्हीं किशन मोदी नामक व्यक्ति को बताया जाता है. मालिक मोदी अपने साथियों राजेन्द्र मोदी, पारूल मोदी सहित अमित कुकरेजा के सहारे विदेशी धरती पर देश का नाम खराब करने का काम धड़ल्ले से कर रहे हैं.
ईओडब्यू के अधिकारिक सूत्र बताते हैं कि कंपनी कई महीनों से एजेंसियों के निशाने पर थी. सबूत एकत्र करने का काम पूरा होते ही मार्गदर्शन माँगा गया था. जैसे ही वह मिला 24 जुलाई को मामला दर्ज हुआ.
किन्हीं भगवान सिंह राजपूत की शिकायत पर जाँच शुरु करने वाली ईओडब्यू ने जब कंपनी के अधिकारियों से पूछताछ प्रारंभ की तब सभी ने अपने दामन पाक साफ बताए थे. फिर भी दस्तावेजों का अध्ययन ईओडब्यू द्वारा सतत जारी था.
धीरे धीरे गड़बड़ी पकड़ में आने लगी तो ईओडब्यू ने छापा मारने का निर्णय लिया. अब इसी छापे में यह खुलासा हुआ है कि कंपनी फर्जी लैब रपट का सहारा लेती थी.
शाहपुरा स्थित कंपनी के डायरेक्टर किशन मोदी सहित राजेन्द्र व पायल मोदी के आवासों के अलावा सिहोर रोड़ स्थित कंपनी के कार्यालय में छापेमारी की गई. चीफ आपरेटिंग आफिसर अमित कुललोद के आवास को भी खंगाला गया.
ईओडब्यू ने पर्याप्त साक्ष्य मिलने पर अंततः किशन मोदी सहित चार पर प्राथमिक रपट दर्ज कर ली है. किशन मोदी व अन्य साझेदारों पर आरोप हैं कि उन्होंने फर्जी रपट का सहारा लेकर अवैध हेल्थ सर्टिफिकेट जारी करवाए थे.
विभिन्न शासकीय मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं के नाम आने से जाँच का दायरा बढ़ सकता है. हालाँकि अधिकारिक सूत्र बताते हैं कि प्रयोगशालाओं की रपट फर्जी तौर पर तैयार करने में कंपनी के डायरेक्टर्स का ही हाथ है लेकिन अधिकारियों की इसमें मिलीभगत से इनकार नहीं किया जा सकता है.
इन्हीं कागजातों के दम पर निर्यात नियंत्रण अभिकरण इंदौर से अवैध हेल्थ सर्टिफिकेट जारी कराने का आरोप कंपनी पर है. जिन सर्टिफिकेट्स को कथित तौर पर अवैध बताया जा रहा है उन्हीं के सहारे कई टन घी और पनीर अमानक होने के बावजूद मिडिल ईस्ट के देशों में भेजा जा रहा था.
बहरहाल, प्रदेश की ईओडब्यू को इस छापेमारी में महत्वपूर्ण सफलता हाथ लगी है. 27 कंप्यूटर्स के अलावा चार लैपटाप, तीन पेन ड्राइव सहित एक एक्सटर्नल हार्ड ड्राइव को अब ईओडब्यू अवैध लेनदेन की आशंका के चलते खंगालने में जुटी हुई है.