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रायपुर/अंबिकापुर. छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग ने भले ही हाल के वर्षों में दो-दो स्वास्थ्य मंत्री प्रदेश को दिए हों लेकिन राज्य तो छोडिए अंबिकापुर मेडिकल कालेज की ही स्वास्थ्य व्यवस्था बेपटरी है. तभी तो एक महिला की मौत सिर्फ़ इस कारण हो जाती है कि उसे समय पर समुचित उपचार नहीं मिल पाया. पीडि़त परिजनों को अब जाँच के नाम पर आश्वासन की घुट्टी पिलाई जा रही है.
अंबिकापुर के एक मोहल्ले का नाम दर्रीपारा है. वहीं की शांति मरावी की तबियत बिगड़ती है. इस पर उसके परिजन उसे लेकर मेडिकल कॉलेज हास्पिटल की ओर यह सोचते हुए दौड़ पड़ते हैं कि वहाँ उसका समुचित उपचार हो जाएगा.
भर्ती नहीं किया, दवा दी और भेज दिया वापस. . .
अपने मरीज को गंभीर बताते हुए परिजनों ने शांति को भर्ती करने की मांग की थी. गिड़गिडा़ए . . . अनुरोध किया लेकिन उपचार करने वाले चिकित्सक का दिल कैसा था कि नहीं पसीजा.
इस डॉक्टर ने उन्हें कुछ दवाई दी. फिर यह कह कर वापिस भेज दिया कि उसे कोई बीमारी नहीं है. अधिक शराब पीने की वजह से उसके शरीर में ज्यादा गर्मी हो गई है. दी गई दवाई से वह ठीक हो जाएगी.
मरता आदमी क्या नहीं करता. चिकित्सक की सलाह और दवा लेकर परिजन महिला को घर लेकर लौट आए. अगले ही दिन उनके हाथपैर फूल गए क्यूं कि शांति की स्थिति पहले से ज्यादा बिगड़ चुकी थी.
दूसरे दिन फिर अस्पताल के लिए दौड़भाग की गई. दोपहर लगभग दो बजे शांति को लेकर परिजन अस्पताल पहुँचे. उन्हें फिर उसी तरह का “उपचार” मिला जो पहले मिल चुका था.
वहाँ मौजूद स्वास्थ्यकर्मियों ने परिजनों से कहा कि अधिक शराब सेवन से महिला की ऐसी हालात हुई है. इसलिए हम ज्यादा इलाज नहीं कर सकते बस एक ड्रिप लगा देंगे. डॉक्टरों ने एक ड्रिप लगाकर महिला मरीज को पुनः वापिस भेज दिया.
दोपहर से शाम हुई. संध्या के समय में महिला की स्थिति एक बार फिर जब गंभीर हुई तो उसे तकरीबन बेहोशी की हालत में लेकर परिजन हास्पिटल पहुँचे. लेकिन तब तक देर हो चुकी थी.
पीड़ित महिला की मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल में हंगामा खड़ा कर दिया.उनका आरोप था कि महिला मरीज को उपचार उपलब्ध कराने के स्थान पर लापरवाही की गई.
ले देकर अस्पताल प्रबंधक ने इस मामले में जांच कर कार्रवाई करने का आश्वासन देते हुए नाराज़ और दुखी परिजनों को रवाना किया.
स्वास्थ्य मंत्री हैं कि फोन नहीं उठाते . . .
प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री श्री श्यामबिहारी जायसवाल जी इन दिनों गलत कारणों से चर्चा में हैं. संभवत: इसी के मद्देनजर उन्होंने फोन उठाने से भी परहेज कर रखा है.
नेशन अलर्ट ने यह सोचकर कि मेडिकल कालेज प्रबंधक और जिला प्रशासन से बात करने से ज्यादा बेहतर होगा स्वास्थ्य मंत्री से बात की जाए लेकिन बात तो तब होती न जब फोन उठता या उठाया जाता.
श्रीमान स्वास्थ्य मंत्री महोदय के मोबाइल नंबर 954 292 पर नेशन अलर्ट की ओर से काल की गई. सोमवार रात 8.28 बजे पहली बार उनका नंबर व्यस्त बताया. फिर तकरीबन इसी समय काल वेटिंग आई.
अंत में उन्हें रात्रि के 8.38 बजे रिंग दी गई लेकिन सिर्फ़ मोबाइल बजते रहा, उठाया नहीं गया. हो सकता है कि स्वास्थ्य मंत्री व्यस्त रहे हों लेकिन उनकी व्यस्तता शांति जैसी महिला की मौत पर अशांति का कारण न पाए ईश्वर से यही प्रार्थना है.
गौरतलब, तथ्य यह है कि इस मामले की जानकारी देते हुए प्रतिक्रिया लेने हुए स्वास्थ्य मंत्री को वाट्सऐप भी किया गया था. सोमवार रात वाट्सऐप करने के बाद मंगलवार सुबह तक इंतजार किया गया लेकिन कोई जवाब नहीं आया . . . आखिर क्यूं . . ?
तब तक यही लिखा जा सकता है कि शर्मनाक ! यह महिला नहीं सिस्टम का शव है !!