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जांजगीर चाँपा. जिले में पदस्थ रह चुके तत्कालीन जिलाधीश यशवंत कुमार व जितेंद्र शुक्ला अदालत की अवमानना के केस में उलझ गए हैं. बिलासपुर हाईकोर्ट की ओर से अवमानना याचिका स्वीकार कर दोनों आईएएस अफसर को नोटिस जारी की गई थी. नोटिस के जवाब से हाईकोर्ट संतुष्ट नहीं हुआ और उसने आईएएस आफिसर्स पर चार्ज फ्रेम करते हुए अगली सुनवाई पर व्यक्तिगत रुप से उपस्थित होने का आदेश दिया है.
प्रकरण की अगली सुनवाई 21 अगस्त को तय की गई है. अपने आदेश की नाफरमानी से असंतुष्ट हाईकोर्ट के तेवर यदि ठंडे़ नहीं पडे़ तो जिले के दोनों तत्कालीन कलेक्टर को सजा मिल सकती है.
उस स्थिति में आईएएस यशवंत कुमार व आईएएस जितेंद्र शुक्ला को दो-दो हजार रूपए का जुर्माना चुकाने के साथ ही छह माह की जेल हो सकती है. हालाँकि इसकी संभावना कम नज़र आती है लेकिन फिर भी यदि ऐसा हुआ तो यह राज्य सरकार के साथ ही उसकी आईएएस लाबी के लिए किसी बहुत बडे़ झटके से काम नहीं होगा.
क्या है मामला. . .
दरअसल, किसान और उसकी जमीन से मामला जुडा हुआ है. याचिका अनुसार भू अर्जन की कार्रवाई पूरी किए बगैर उसकी किसानी जमीन पर सड़क बनवा दी गई. एक तरह से प्रशासनिक अतिक्रमण किया गया.
कमलेश सिंह नामक किसान को मूलतः केरा रोड़ निवासी बताया जाता है. भू अर्जन अधिकारी सहित लोक निर्माण विभाग के जिला स्तरीय अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने कमलेश की जमीन पर जबरन कब्जा कर सड़क बनवाई.
याचिकाकर्ता कमलेश ने इस तरह की हरकत से परेशान होकर जाँजगीर जिलाधीश के समझ आवेदन लगाया. विधिवत भू अर्जन कर मुआवजे की माँग आवेदन में शामिल थी. इस आवेदन पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई.
थक हारकर पीडि़त किसान कमलेश हाईकोर्ट पहुँच गए. हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने मामले को वर्ष 2021 में सुना था. तब जस्टिस गौतम भादुड़ी ने कमलेश के पक्ष में फैसला सुनाया था.
जस्टिस भादुड़ी के तत्कालीन फैसले के मुताबिक छह माह के भीतर प्रकरण निराकृत हो जाना था. फिर भी दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हो पाया.
तब कलेक्टर जांजगीर चांपा को नोटिस दी गई थी कि याचिकाकर्ता भू स्वामी की जमीन का विधिवत अधिग्रहण करें. इसके एवज में नियम अनुसार उसे मुआवजा देने के हाईकोर्ट के निर्देश थे. बिलासपुर हाईकोर्ट द्वारा दिए गए समय के छह माह बीतने के बाद भी कोई प्रगति मामले में नहीं हुई.
आदेश लेकर फिर पहुँचा कलेक्टोरेट. . .
पीडि़त किसान कमलेश हाईकोर्ट के आदेश की प्रति लेकर फिर कलेक्टोरेट पहुँचे थे. उन्होंने कलेक्टर के समझ आदेश सहित पुन: आवेदन किया था. लगातार जनदर्शन में शिकायत पर भी जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो कमलेश ने पुन: बिलासपुर हाईकोर्ट का रूख किया.
इस बार कमलेश की ओर से उनके अधिवक्ता ने आईएएस यशवंत कुमार, आईएएस जितेंद्र शुक्ला सहित दो अन्य अधिकारियों पर अदालत की अवमानना का आरोप लगाया. अपनी अवमानना की याचिका को कोर्ट ने भी गंभीरता से लिया.
हाईकोर्ट इस बात से खफा नज़र आया कि उसके द्वारा दिए गए आदेश के चार साल बाद भी कमलेश की दिक्कत कम नहीं हुई थी. नाराज़ हाईकोर्ट ने अंततः दोनों आईएएस सहित चारों अधिकारियों को व्यक्तिगत रुप से तलब किया है.
ऐसा आदेश करने के पहले हाईकोर्ट ने अवमानना याचिका स्वीकृत करते हुए नोटिस जारी की थी. तय समय पर अधिकारियों ने जवाब तो दिया लेकिन कोर्ट को वह संतुष्ट नहीं कर पाया.
बिलासपुर हाईकोर्ट में जांजगीर के तत्कालीन जिलाधीशद्वय ( आईएएस यशवंत व आईएएस जितेंद्र ) पर अवमानना के चार्ज फ्रेम कर दिए हैं. अब इन्हें अगली सुनवाई 21 अगस्त को व्यक्तिगत रुप से हरहाल में उपस्थित होना पडे़गा.
यदि तब तक हाईकोर्ट की नाराजगी दूर नहीं हुई तो छह माह की कैद अनिवार्य है. इसके साथ ही दो-दो हजार का अर्थदंड भी चुकाना होगा. दरअसल, हाईकोर्ट ने अदालती अवमानना के मामले में सख्ती बरतना प्रारंभ कर दिया है. इसके नए नियम लागू किए गए हैं.