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रायपुर। सी-2 लागत का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य देने, किसानों को कर्ज मुक्त करने, उनकी आय दुगुनी करने, एक सर्वसमावेशी फसल बीमा योजना सहित पिछले दस सालों में इस देश के किसानों से भाजपा द्वारा किए गए वादों के बारे में संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार से सीधा पूछा है : क्या हुआ तेरा वादा, क्या भाजपा ने वादे भूलने के लिए ही किए थे?
मोदी सरकार की तीसरी बारी के पहले बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि बजट की दिशा और कृषि सहित विभिन्न क्षेत्रों में बजट आबंटन से यह स्पष्ट है कि कॉरपोरेटों से चुनाव बांड के जरिए काला धन हासिल करने वाली पार्टी ने सरकार बनाकर अब उन्हें उपकृत करना शुरू कर दिया है।
यह बजट आम जनता की बदहाली की कीमत पर कॉर्पोरेटों की तिजोरी भरने का काम करता है। आम जनता को भरमाने के लिए बजट में जितने लंबे-चौड़े वादे किए गए हैं, उन्हें अमल में लाने के लिए आवश्यक धनराशि तो रखी ही नहीं गई है।
संयुक्त किसान मोर्चा ने रेखांकित किया है कि 2019 में कृषि के लिए बजट का आबंटन 5.44℅ था, किंतु इस बजट में घटकर 3.15% रह गया है,जबकि आर्थिक सर्वेक्षण में कृषि विकास की दर में कमी आने और खाद्यान्न उत्पादन में काफी गिरावट आने की बात कही गई है।
खाद सब्सीडी में 24,894 करोड़ रुपए की और खाद्य सब्सीडी में 7,082 करोड़ रुपए की कटौती की गई है। इससे खेती-किसानी की लागत बढ़ेगी और ग्रामीणों का जीवन स्तर नीचे गिरेगा।
पिछले वर्ष मनरेगा में जितना वास्तविक खर्च हुआ था, उससे भी कम आबंटन इस बार किया गया है और इसका लगभग आधा इस वित्तीय वर्ष के चार महीनों में खर्च होने के बाद बाकी के आठ महीनों के लिए मात्र 44500 करोड़ रुपए ही उपलब्ध रहेंगे।
इससे ग्रामीण रोजगार की स्थिति और खराब होगी। कुल मिलाकर, यह बजट बढ़ते कृषि संकट और इसके कारण होने वाली किसान आत्महत्याओं से निपटने में नाकाम साबित होगा।
एसकेएम ने कहा है कि रोजगार सृजन के नाम पर यह बजट वास्तव में कारपोरेटों को सब्सीडाइज करने का एक और रास्ता खोलता है, क्योंकि बजट में उद्योगपतियों को प्रति रोजगार 72000 रूपये सालाना प्रोत्साहन राशि देने की घोषणा की गई है।
इस प्रकार, कॉरपोरेट टैक्स में कटौती के साथ ही 84000 करोड़ रुपए अतिरिक्त उनकी तिजोरी में डाले जा रहे हैं, जबकि यह स्पष्ट है कि आम जनता की कम होती क्रय शक्ति और घटती घरेलू मांग के चलते उद्योगपति नया रोजगार पैदा नहीं करेंगे।
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) की समन्वय समिति की ओर से संजय पराते ने कहा है कि इस बजट से छत्तीसगढ़ की आम जनता, विशेषकर मेहनतकशों और गरीब आदिवासियों और दलितों को कोई राहत नहीं मिलने वाली है, जो पहले से ही अडानी की लूट के निशाने पर है।
छत्तीसगढ़ के जल, जंगल, जमीन, खनिज और प्राकृतिक संसाधन भाजपा सरकार के संरक्षण में अडानी को सौंपे जा रहे हैं और वे विस्थापन और दमन के शिकार हो रहे हैं। छत्तीसगढ़ की जनता की इस कॉर्पोरेट लूट के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा अभियान चलाएगी और अगले माह “अडानी – छत्तीसगढ़ छोड़ो” के नारे पर राज्य स्तरीय कन्वेंशन आयोजित करेगी और इस कॉर्पोरेटपरस्त बजट के दुष्परिणामों के खिलाफ आंदोलन की रूपरेखा तैयार करेगी।