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नई दिल्ली। वित्तीय वर्ष 2023-24 में धोखाधड़ी के मामलों में बेतहाशा वृद्धि देखी गई है। वित्तीय वर्ष 2022-23 के मुकाबले 2023-24 में ऐसे मामलों में 36000 का इजाफा हुआ है जो कि 166 फीसदी बताया जाता है।
यह आंकड़ा भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा प्रदत्त किया गया है। आंकड़ों के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2022-23 की तुलना में वित्तीय वर्ष 2023-24 में जो धोखाधड़ी दर्ज की गई है वह 13930 करोड़ रूपए की है।
आरबीआई के मुताबिक 10 में से 6 भारतीय अपने साथ हुई आर्थिक धोखाधड़ी की सूचना संबंधित नियामक अथवा प्रवर्तन एजेंसियों को देने में कोताही बरतते हैं। पिछले 3 साल में 1 या अधिक वित्तीय धोखाधड़ी का अनुभव करने वाले भारतीयों की संख्या 47 फीसदी बताई गई है। ऐसा एक उस रपट में शामिल है जो कि गत दिनों जारी हुई।
यूपीआई लेनदेन में 36 फीसदी ठगे गए
रपट बताती है कि देश में 36 फीसदी लोग ऐसे रहे हैं जिनके साथ एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई) लेनदेन हुआ है। क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी के संबंध में बात करते हुए बताया गया है कि 43 फीसदी लोग ऐसे रहे हैं।
53 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो कि घरेलू व्यापारियों सहित वेबसाइट द्वारा लगाए गए अनाधिकृत शुल्क के बारे में बात करते हुए नजर आए। धोखाधड़ी को रोकने के लिए सुरक्षा उपाय करने सहित उपभोक्ता जागरूकता पैदा करने की तत्काल जरूरत बताई गई है।
यह सारा आंकड़ा उस सर्वे का है जिसे लोकल सर्किल्स ने 23000 लोगों के बीच बातचीत करने के दौरान तैयार किया है। यह हजारों लोग देश के 302 जिलों के नागरिक बताए गए हैं। सभी ने एक सुर में माना है कि यूपीआई और क्रेडिट कार्ड से जुड़ी वित्तीय धोखाधड़ी सबसे आम है।