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रायपुर। प्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों में प्राध्यापकों के 760 पद खाली पड़े हैं। सर्वाधिक भयावह स्थिति सहायक प्राध्यापकों की है जहां 2169 पद रिक्त हैं। और तो और प्राचार्यों के 335 पदों की स्वीकृति के विरूद्ध 292 पद रिक्त पड़े हुए हैं।
छत्तीसगढ़ में शासकीय महाविद्यालयों की संख्या 335 बताई जाती है। इनमें प्राचार्यों के अलावा प्राध्यापकों व सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति काफी समय से नहीं हो पाई है। बताया तो यह तक जाता है कि राज्य गठन के बाद से ही प्रोफेसर्स के पद पर अब तक सीधी भर्ती नहीं हुई है।
एक बार निकली थी भर्ती
मध्यप्रदेश से पृथक होकर छत्तीसगढ़ को बने 24 साल हो गए लेकिन आज दिनांक तक शासकीय महाविद्यालयों की ओर भर्ती को लेकर भाजपा-कांग्रेस सरकारों ने अपनी नजरें नहीं फेरी है। तभी तो अब तक सिर्फ एक ही मर्तबा प्रोफेसर्स की भर्ती के लिए विज्ञापन निकला था। यह विज्ञापन सितंबर 2021 में निकला था।
राज्य की पीएससी के द्वारा प्रोफेसर की सीधी भर्ती की जानी थी। तब तकरीबन 7000 से अधिक उम्मीदवारों ने अपना आवेदन यह सोचते हुए किया था कि अब उनके बेरोजगारी के दिन नहीं रहेंगे लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। भर्ती प्रक्रिया कुछ ही दिन में विवादित हो गई। इस कारण इसे बीच में ही रोक दिया गया।
राज्य के शासकीय महाविद्यालयों में प्राध्यापक के कुल जमा 5315 पद स्वीकृत हैं। इनमें भी महज 4555 पदों पर ही प्रोफेसर्स कार्यरत हैं।
यही स्थिति सहायक प्राध्यापकों की है। सहायक प्राध्यापक के 3146 पदों के स्वीकृति के विरूद्ध 2169 पद रिक्त हैं। प्राचार्य के कुल जमा 335 पद स्वीकृत हैं जिनमें से सिर्फ 43 पदों पर नियमित प्राचार्य कार्यरत है और 292 पद अभी भी रिक्त बताए जा रहे हैं। अब जाकर रिक्त पदों पर भर्ती होने की संभावना बनी है।
बताया जाता है कि प्राध्यापक व सहायक प्राध्यापक के रिक्त पदों पर भर्ती के लिए उच्च शिक्षा विभाग ने प्रदेश के वित्त विभाग से अनुमति मांगी है। इसके मिलते ही छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (पीएससी) के माध्यम से भर्ती की जाएगी। संभावना जताई जा रही है कि जुलाई व सितंबर में इस पर अच्छी खबर सुनने को मिले।