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भोपाल। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश में 1755 पंजीकृत मदरसे हैं। इन्हीं मदरसों में 9 हजार 417 हिन्दू बच्चों के पढ़ने का चौंकाने वाला आंकड़ा बताया गया है। इन बच्चों को सामान्य स्कूल में भेजे जाने की अनुशंसा एनसीपीसीआर ने राज्य सरकार से की है।
ज्ञात हो कि अभी हाल ही में एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो राज्य के प्रवास पर आए थे। उन्होंने मध्यप्रदेश के अधिकारियों के साथ बाल अधिकारों पर अंतरविभागीय समीक्षा बैठक आयोजित की थी। इसी बैठक में इस तरह के आंकड़े उभरकर सामने आए हैं।
बुनियादी ढांचा भी नहीं
बैठक में मदरसों के बुनियादी ढांचे पर भी चर्चा हुई। मदरसों का बुनियादी ढांचा शिक्षा के अधिकार अधिनियम के अनुरूप नहीं पाया गया। मध्यप्रदेश सरकार से मदरसों की सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने का अनुरोध बैठक के दौरान किया गया।
एनसीपीसीआर के आंकड़े बताते हैं कि मदरसों में पढ़ाने वाले शिक्षक ऐसे है जिन्होंने शिक्षक पात्रता परीक्षा ही पास नहीं की हुई है। मतलब साफ है कि इन मदरसों के शिक्षकों के पास बीएड की डिग्री तो है ही नहीं।
मध्यप्रदेश मंे जिस अधिनियम के तहत मदरसा बोर्ड का गठन हुआ था उसमें मदरसों की परिभाषा बताई गई है। परिभाषा बताती है कि मदरसों में इस्लामिक धार्मिक शिक्षा दी जानी चाहिए जबकि शिक्षा के अधिकार अधिनियम की धारा 1 के तहत मदरसो ंको शिक्षा के अधिकार अधिनियम के दायरे से बाहर रखा गया है।
बैठक में इस बात पर भी सवाल उठा था कि गैर पंजीकृत मदरसे किस तरह से संचालित हो रहे हैं। आयोग के अध्यक्ष कानूनगो ने बताया कि गैर पंजीकृत मदरसों में पढ़ने वाले मुस्लिम बच्चों को भी सामान्य स्कूलों में भी भेजे जाने की अनुशंसा की गई है।