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रायपुर। महज 12 माह के भीतर आलू-प्याज-टमाटर की कीमत में 81 फीसदी की बढ़ोतरी दिखाई देने लगी है। पखवाड़े भर के भीतर ही थोक में प्याज की कीमत 50 फीसदी बढ़ी है। इन सब कारणों के चलते शाकाहारी थाली भी महंगी पड़ने लगी है।
यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि मिनिष्ट्री ऑफ कन्ज्यूमर अफेयर वेबसाइट के आंकड़े बताते हैं। देश का ऐसा कोई हिस्सा नहीं होगा जहां आलू-प्याज-टमाटर के दाम नहीं बढ़े हैं। इनमें आई तेजी का सीधा असर शाकाहारी थाली पर पड़ रहा है।
पहले कितना था अब कितना ?
30 अपै्रल 2023 को आलू की औसत कीमत 18.88 रू. हुआ करती थी जो कि इस साल 10 जून तक 30.57 रू. तक पहुंच गई है। सीधा सा मतलब है आलू प्रति किलो 11.69 रू. महंगा हुआ है। आलू के दाम 62 फीसदी तक बढ़े हैं।
प्याज 30 अपै्रल 2023 के दिन तक 20.41 रू. प्रति किग्रा की औसत दर पर बिक रहा था। 10 जून 2024 तक इसकी कीमत 33.98 रू. हो चुकी है। एक साल के भीतर प्याज 66 फीसदी की दर से महंगा हुआ है। प्रति किग्रा इसके रेट में 13.57 रू. की बढ़ोतरी दिखाई दी है। जून में ही औसत कीमत में 1.86 रू. महंगा हो रहा है।
आलू-प्याज के बाद अब बात टमाटर की…टमाटर भी कोई सस्ता नहीं है। साल भर के भीतर इसकी कीमतों में 60 फीसदी के बढ़ोतरी का आंकलन किया गया है। आलू और प्याज की तुलना में टमाटर एक साल के भीतर कुछ ज्यादा ही महंगा हुआ है।
30 अपै्रल 2023 के दिन प्रति किग्रा टमाटर की कीमत 20.55 रू. निकाली गई थी। रिटेल रेट अब 10 जून 2024 को 37.11 रू. प्रति किग्रा हो गए हैं। मतलब साल भर के भीतर 81 फीसदी टमाटर और महंगा हुआ है। प्रति किग्रा 16.56 रू. बढ़ने से दाल व सब्जियों में टमाटर का उपयोग करने से लोग बचने लगे हैं।
आलू-प्याज-टमाटर के महंगे होने का सीधा असर शाकाहारी थाली की औसत लागत पर पड़ रहा है। देश में शाकाहारी थाली 9 फीसदी की दर से साल दर साल महंगी हुए जा रही है। पिछले साल मई में इस थाली की औसत कीमत 25.5 रू. थी जो कि इस साल बढ़ कर 27.8 रू. हो गई थी। अपै्रल 2024 से तुलना करने पर यही थाली की कीमत 1 फीसद महंगी हुई है। अपै्रल में यह थाली 27.4 रू. प्रति प्लेट में उपलब्ध थी।
बहरहाल, आलू-प्याज-टमाटर की औसत कीमत में वृद्धि का असर भी नजर आने लगा है। माना जा रहा है कि महाराष्ट्र में सत्ताधारी दल को लोकसभा चुनाव में उसकी अपेक्षा के अनुरूप नतीजे इसलिए नहीं मिल पाए क्योंकि इनकी कीमतों में इजाफे का असर आम आदमी के जेब पर पड़ रहा है और उसका बजट गड़बड़ा रहा है।