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रायपुर। प्रदेश में पदस्थ अखिल भारतीय सेवा (आईएएस) की अधिकारी इफ्फत आरा के खिलाफ जांच के आदेश दिए गए हैं। इस बारे में प्रदेश के मुख्य सचिव को एक पत्र केन्द्रीय कार्मिक लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय से प्राप्त हुआ है।
नई दिल्ली से भेजे गए इस पत्र की प्रतिलिपि अंबिकापुर क्षेत्र के बताए जाने वाले अधिवक्ता डीके सोनी को भी भेजी गई है। सोनी को सूचना का अधिकार (आरटीआई) कार्यकर्ता बताया जाता है। सोनी ने ही आईएएस आरा के खिलाफ शिकायत की थी।
भू-माफिया से सांठगांठ
आईएएस इफ्फत आरा पूर्व मंे सूरजपुर की जिलाधीश रह चुकी हैं। सूरजपुर कलेक्टर रहने के दौरान उनके कुछ भू-माफियाओं से संबंध बताते हुए अधिवक्ता सोनी ने 20 मार्च को मय दस्तावेज प्रधानमंत्री कार्यालय को शिकायत भेजी थी।
सोनी ने शिकायत में उल्लेख किया था कि इफ्फत आरा ने वर्ष 2021-22 में 5 डिसमिल पुनर्वास भूमि की बिक्री के लिए माफियाओं से सांठगांठ की थी। इस तरह के कुल 31 प्रकरण ऐसे थे जिन्हें सोनी ने अपने शिकायत में लिया था।
इन प्रकरणों में किसी दस्तावेज की जांच के बिना भूमि क्रय विक्रय की अनुमति दी गई थी। शिकायत में यह भी उल्लेख था कि क्रेता विक्रेता के हस्ताक्षर जांच के दौरान अपने समक्ष नहीं करवाए गए थे। शिकायत में जमीन दलाली से जुड़े कुछ नामों का भी उल्लेख था।
इसके अलावा शिकायत में यह आशंका जताई गई थी कि करोड़ों रूपए की अवैध वसूली प्रकरण में की गई है। आदिवासी महिला के नाम पर काफी जमीन खरीदने का भी उल्लेख किया गया था। अब जाकर कार्मिक लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय के अवर सचिव भूपेश कुमार ने जांच के लिए प्रदेश के मुख्य सचिव को पत्र भेजा है।
जांच में फंसे दूसरे आईएएस
उल्लेखनीय है कि इस तरह की जांच में दूसरे आईएएस फंसे हैं। पहले इसी तरह के मामले में गुजरात के सूरत के तत्कालीन जिलाधीश आयुष ओक के खिलाफ शिकायत हुई थी। आयुष फिलहाल वलसाड के कलेक्टर हुआ करते थे।
उन पर 2000 करोड़ रूपए की जमीन घोटाले में शामिल होने का आरोप है। 2011 बैच के आयुष ओक ने सूरत से स्थानांतरण के कुछ दिन पहले तकरीबन 2000 करोड़ की शासकीय भूमि के मामले में विवादित फैसले दिए थे। बंजर टुकड़े को किरायेदार के रूप में एक व्यक्ति के नाम डालने का आदेश ओक ने दिया था।
इस मामले की शिकायत कांग्रेस नेता दर्शन नाइक ने की थी। नाइक की शिकायत थी कि ओक ने पूर्ववर्ती कलेक्टर राजेन्द्र कुमार के आदेश को अनदेखा करते हुए ग्राम डुमास में 2 लाख 17 हजार वर्ग मीटर सरकारी जमीन को कृष्णमुखलाल भगवान दास के नाम से चढ़ाने का आदेश पारित किया था।
वलसाड कलेक्टर के रूप में सूरत से स्थानांतरण के दो दिन पहले ही कलेक्टर आयुष ओक के संबंध में 20 मई को गुजरात के मुख्यमंत्री के समक्ष शिकायत दर्ज कराई गई थी। मामले में आरोप था कि ऐसा कर राज्य सरकार को 2000 करोड़ रूपये का नुकसान पहुंचाया गया है।
लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के हटते ही मुख्यमंत्री ने अपनी जांच में वलसाड कलेक्टर ओक को कर्तव्यों में लापरवाही का दोषी पाया। सूरत कलेक्टर के रूप में उनके द्वारा किए गए कृत को सरकारी नुकसान से जुड़ा पाते हुए अंततः गुजरात के मुख्यमंत्री ने उन्हें निलंबित कर दिया।
अब इधर भाजपा के शासन वाले एक और राज्य छत्तीसगढ़ में जमीन से ही जुड़े मामले में आईएएस अफसर के कथित तौर पर फंसे होने की जांच हो रही है। यदि जांच में शिकायत सही पाई गई तो आईएएस इफ्फत आरा मुश्किलों का सामना करेंगी। बहरहाल, आईएएस इफ्फत आरा से संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन मोबाईल कनेक्ट नहीं हो पाने के चलते बात नहीं हो पाई।