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राजनांदगांव. लोकसभा चुनाव का मतदान नजदीक आने के साथ ही विवाद भी खड़े होने लगे हैं। आज एक विवाद कांग्रेस और उसके केन्द्रीय चुनाव कार्यालय से जुड़ा हुआ ऐसा उभरा कि भाजपा नेताओं और चुनाव से जुड़े अधिकारियों तक से शिकायत होने की खबर है। सवाल इस बात का उठता है कि क्या वाकई में कांग्रेस के चुनाव कार्यालय से पैसे बांटे जा रहे थे ?
दरअसल, इस बार का लोकसभा चुनाव राजनांदगांव से ज्यादा महत्वपूर्ण कांग्रेस-भाजपा के लिए हो चला है। भाजपा से जहां सांसद रहे संतोष पांडे एक बार फिर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं वहीं कांग्रेस ने उनके खिलाफ पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को चुनावी मैदान में उतारकर राजनीतिक पारा और चढ़ा दिया है।
क्यों और कैसे हुई शंका
बताया जाता है कि जीई रोड पर दुर्ग की ओर तुलसी व्यापार विहार में कांग्रेस ने केन्द्रीय चुनाव कार्यालय बनाकर रखा है। सोमवार दोपहर इसी कार्यालय में राजनांदगांव के कांग्रेसी पदम कोठारी, जितेन्द्र मुदलियार, रूपेश दुबे, अमित खण्डेलवाल उस समय जुटे थे जब विधानसभा प्रत्याशी रहे गिरीश देवांगन के साथ ही कांग्रेसी सरकार में जिले का प्रभार संभाल चुके पूर्व खाद्य मंत्री अमरजीत सिंह भगत एक साथ बैठे हुए थे।
इनके द्वारा क्या कुछ गतिविधियां की जा रही थी इसकी कोई पुख्ता जानकारी तो नहीं मिल पाई लेकिन धीरे-धीरे यह खबर बड़ी तेजी से भाजपा नेताओं के अलावा निर्वाचन से जुड़े जिले के छोटे-बड़े अधिकारियों तक पहुंच गई कि कांग्रेस के चुनाव कार्यालय से पैसे बांटे जा रहे हैं। आनन-फानन में निर्वाचन कार्य से जुड़े अधिकारियों के फोन घड़घड़ाने लगे।
शाम होते-होते यह मसला तब गंभीर हो गया जब भाजपा सरकार में उद्योग मंत्री लखनलाल देवांगन की पत्रकारवार्ता चल रही थी। उनसे इस तरह की किसी कार्यवाई अथवा शिकायत के संबंध में जानकारी चाही गई तो उन्होंने सीधे तो कुछ नहीं कहा लेकिन इतना जरूर कहा कि कांग्रेस और उसके प्रत्याशी के पास जनता से लूटा गया बहुत पैसा है। हो सकता है वह बांट रहे हों।
इस संदर्भ में नेशन अलर्ट ने कांग्रेस का पक्ष जानने रूपेश दुबे को फोन लगाया था। संभवतः चुनावी कार्य की व्यस्तता के चलते वह अपने मोबाइल नं. 9827117539 पर आई घंटी को सुन नहीं पाए। इसी के मद्देनजर उन्होंने कॉल अटेण्ड भी नहीं करी।
जिला निर्वाचन अधिकारी का दायित्व संभाल रहे जिलाधीश संजय अग्रवाल से दोपहरके समय नेशन अलर्ट ने टेलीफोनिक संपर्क साधा था। अग्रवाल ने वस्तुस्थिति से अवगत होने के बाद एसडीएम को निर्देश दिए जाने की बात कही थी।
बहरहाल, आने वाले तीन दिन इसी तरह की शिकवा-शिकायत के हो सकते हैं। इस अवधि में प्रशासन के साथ-साथ सुरक्षा बलों और पुलिस को भी अतिरिक्त सतर्कता बरतनी पड़ेगी। यदि चुनाव निष्पक्ष होता है तो उसके नतीजे संभवतः सभी को मालूम है लेकिन यदि साम-दाम-दंड-भेद पर रोक नहीं लगाई तो कुछ भी हो सकता है।