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राजनांदगांव. लोकसभा चुनाव के द्वितीय चरण में राजनांदगांव संसदीय क्षेत्र में मतदान करने का समय नजदीक आते जा रहा है लेकिन अभी तक ऐसी कोई हवा नहीं बन पाई है जिससे लगे कि फलां व्यक्ति जीत अथवा हार रहा है। इतना जरूर है कि प्रचार की शैली से लेकर रणनीति बनाने तक के मामले में भाजपा कहीं ज्यादा व्यवस्थित नजर आती है।
राजनांदगांव संसदीय क्षेत्र में राजनांदगांव के अलावा 3 अन्य जिले भी पहली बार शामिल किए गए हैं। हालांकि पहले 2 जिले राजनांदगांव और कवर्धा को मिलाकर ही संसदीय क्षेत्र हुआ करता था लेकिन इस बार इनकी संख्या 2 से 4 हो गई है।
दरअसल, विधानसभा चुनाव के ठीक पहले तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने खैरागढ़-छुईखदान-गंडई (केसीजी) और मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी (एमएमसी) को जिले का दर्जा दे दिया था। केसीजी और एमएमसी जिला पहली बार संसदीय चुनाव में हिस्सा ले रहे हैं हालांकि खैरागढ़ और मोहला पहले भी राजनांदगांव जिले के रूप में संसदीय चुनाव में शामिल रहे थे।
इस बार चुनाव प्रचार उस तीव्र गति से नहीं हो पाया जिस तीव्र गति से उसकी कल्पना की जा रही थी। पहले होली और फिर बाद में चैत्र नवरात्रि पर्व के चलते लोग अपने निजी कामों में व्यस्त रहें। इसके चलते पार्टियों के तो कार्यकर्ता प्रचार में लगे रहे लेकिन उन्हें गांव-गांव वैसा समर्थन नहीं मिल पाया जैसा मिलने की उम्मीद थी।
इन सबके बावजूद भाजपा का प्रचार अपनी कार्यशैली के मुताबिक ज्यादा व्यवस्थित नजर आता है। भाजपा ने अपना संसदीय चुनाव कार्यालय स्टेशन रोड स्थित महाजन वाड़ी में स्थापित कर रखा है। वहां प्रतिदिन किसी न किसी मंडल की बैठक आदि होते रहती हैं।
पूर्व सांसदद्वय मधुसूदन यादव, अभिषेक सिंह से लेकर वर्तमान प्रत्याशी संतोष पांडे के अलावा छोटे बड़े पदाधिकारी दिनरात एक किए हुए हैं। संतोष अग्रवाल, सुरेश एच.लाल, नीलू शर्मा, भरत वर्मा, संजीव शाह, विक्रांत सिंह, रमेश पटेल से लेकर बुधारू-समारू तक के न जाने कितने कार्यकर्ता पदाधिकारी चुनाव अभियान में जुटे हैं।
भाजपा ने इस बार चुनाव अभियान की व्यवस्था को लेकर अपने प्रतिद्वंदियों को एक तरह से पीछे छोड़ दिया है। भले ही चुनाव परिणाम कुछ भी हो लेकिन भाजपा ने प्रचार में बाजी मार ली है। आने वाले 3 दिन में कुछ एक बड़ी सभाएं होंगी जिसमें प्रचार की गति पता चल जाएगी लेकिन भाजपा ने एक तरह से चुनाव को गति देने का काम किया है।