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रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य में उच्च शिक्षा का हाल कैसा है यह यदि आपको जानना समझना है तो विश्व विद्यालयों में शैक्षणिक पदों की स्थिति का आंकलन कर लीजिए। छत्तीसगढ़ में शासकीय स्तर पर संचालित सात विश्व विद्यालयों में 321 पद फिलहाल रिक्त बताए जाते हैं जबकि 179 पदों पर ही शैक्षणिक कार्य करने-कराने वाले कर्मचारी पदस्थ हैं।
प्रदेश की राजधानी रायपुर में पं.रविशंकर शुक्ल विश्व विद्यालय के अलावा कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्व विद्यालय रायपुर का संचालन हो रहा है। शेष विश्वविद्यालय प्रदेश के अन्य जिलों में कार्यरत हैं। सभी शासकीय विश्वविद्यालयों में शैक्षणिक पदों की स्थिति का हाल तकरीबन बेहाल ही बताया जा रहा है।
क्या कहते हैं आंकड़े
पं.रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में फिलहाल 119 पद रिक्त बताए जाते हैं। शैक्षणिक पदों पर 104 कर्मचारी कार्यरत हैं जबकि स्वीकृत पदों की कुल संख्या 223 बताई जाती है। ऐसी ही कुछ स्थिति पत्रकारिता विश्वविद्यालय की भी है।
पत्रकारिता विश्वविद्यालय में स्वीकृत शैक्षणिक पदों की संख्या 34 बताई गई है। इनमें भी महज 8 पदों पर ही कर्मचारी कार्य कर रहे हैं जबकि 26 पद रिक्त पड़े हुए हैं। अब कैसे अच्छे से पढ़ाई हो पाती होगी इसका आंकलन किया जा सकता है।
बिलासपुर में अटल बिहारी वाजपेयी के नाम से विश्वविद्यालय का संचालन राज्य सरकार करती है। शैक्षणिक पदों की मान्य संख्या इस विश्वविद्यालय के लिए 35 बताई गई है। 17 कार्यरत कर्मचारियों से ज्यादा संख्या (18) रिक्त पदों की बताई जाती है।
दुर्ग संभाग में हेमचंद यादव विश्वविद्यालय की तो स्थिति और भी गई गुजरी नजर आ रही है। यहां 35 में से 35 पद रिक्त बताए गए हैं। संत गहिरा विश्वविद्यालय सरगुजा में स्वीकृत 41 पदों के विरूद्ध 15 पदों पर ही कार्यरत बताए गए हैं। मतलब 26 पद रिक्त हैं।
बस्तर में शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय का संचालन शासकीय स्तर पर हो रहा है। इस विश्वविद्यालय की भी स्थिति स्वीकृत और खाली पदों की संख्या को देखकर समझी जा सकती है। यहां स्वीकृत 65 पदों के विरूद्ध 59 पद रिक्त हैं जबकि सिर्फ 6 पद भरे हुए हैं।
राजनांदगांव को विभाजित कर खैरागढ़ को नया जिला बनाया गया है। खैरागढ़ में ही वर्षों से संगीत विश्व विद्यालय का संचालन हो रहा है। संगीत विश्वविद्यालय में स्वीकृत शैक्षणिक पदों की संख्या 67 बताई गई है। इनमें से महज 29 पदों पर सेवा ली जा रही है जबकि 38 पद रिक्त बताए जा रहे हैं।
बहरहाल, इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि छत्तीसगढ़ में उच्च शिक्षा के प्रति सरकार और उसका तंत्र किस हद तक जिम्मेदार है। दरअसल, राज्य के शासकीय विश्वविद्यालय में स्वीकृत पदों के विरूद्ध कार्यरत पदों से कहीं ज्यादा रिक्त पद यदि हैं तो कहीं न कहीं राज्य सरकार और उसकी नीतियां इसके लिए जिम्मेदार मानी जाएगी।