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रायपुर। डिजिटल लर्निंग पैरामीटर के मामले में छत्तीसगढ़ बेहद पिछड़ गया है। उसकी रैंकिंग सबसे निचले स्तर के 3 ग्रेड में दर्ज की गई है। छत्तीसगढ़ के अलावा बेहद कमजोर रेटिंग दर्ज करने वाले राज्यों में मध्यप्रदेश सहित झारखंड, तेलंगाना, उत्तरप्रदेश, उड़ीसा, बिहार और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर शामिल हैं।
केंद्र के शिक्षा मंत्रालय ने 2020-21 और 2021-22 के संदर्भ में एक रपट जारी की थी। इस रपट में ही सरकारी स्कूलों में डिजिटल शिक्षा बुनियादी ढांचे की रैंकिंग की बात शामिल है। इसमें भारत के 65 फीसद से अधिक शासकीय स्कूल निचले स्तर पर डाल दिए गए हैं।
मतलब यह है कि हर तीसरा या पांचवा स्कूल रैंकिंग के मामले में बेहद कमजोर है। सीखने के परिणामों, बुनियादी ढांचे के अलावा डिजिटल सीखने जैसे संकेतों के आधार पर सर्वश्रेष्ठ जिलों को दक्ष तो खराब नतीजे वाले जिलों को अकांक्षी-3 जैसे 10 ग्रेड में रैंक मिलती है।
रपट बताती है कि डिजिटल लर्निंग पैरामीटर में देश के 748 जिलों में से 489 जिले निचले स्तर 3 ग्रेड में स्थानांतरित कर दिए गए हैं। हालांकि इसमें 2020-21 की तुलना में थोड़ा सुधार बताया गया है क्योंकि उस समय 503 जिले निचले पायदान पर थे।
2021-22 के प्रदर्शन की तुलना में 2019-20 का प्रदर्शन यदि आंका जाए तो 451 जिले डिजिटल शिक्षा के मामले में निम्न श्रेणी में थे। 2018-19 को यदि देखा जाए तो डिजिटल लर्निंग के मामले में उस समय 505 जिले निचले स्तर पर थे। इसके बावजूद केंद्रीय बजट में समग्र शिक्षा के लिए 2021-22 की तुलना में 2022-23 में बजट बढ़ा दिया गया था।
कैसे होता है आंकलन ?
बताया जाता है कि डिजिटल शिक्षा का आंकलन करने के लिए स्कूलों में उपलब्ध इंडरनेट सुविधाओं के अतिरिक्त कंप्यूटर अथवा लैपटॉप वाले स्कूलों का प्रतिशत, कंप्यूटर सहायता शिक्षण और सीखने की सुविधा, छात्र और कंप्यूटर के अनुपात सहित कंप्यूटर दक्ष प्रशिक्षित शिक्षकों के प्रतिशत को लेकर आंकलन तैयार होता है।