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रायपुर। प्रदेश की राजधानी रायपुर सहित चार जिलों को छोड़कर स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। अल्प व खंड वर्षा के चलते जहां बांध खाली पड़े हुए हैं वहीं 16 जिले ऐसे हैं जहां इस बार बेहद कम बारिश हुई है। हालांकि भादो की शुरूआत में एक बार फिर मानसून के एक्टिव हो जाने से स्थिति में धीरे धीरे ही सही सुधार हो रहा है।
मौसम विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक प्रदेश के बड़े बांध अभी तक पूरे नहीं भर पाए हैं। रायगढ़ के केलो बांध में 72.95 फीसदी, बिलासपुर के अरपा-भैसाझार बांध में 58.18 फीसदी तो कांकेर के दुधावा बांध में 67.83 प्रतिशत जल भराव हो पाया है।
यही स्थिति बालोद के तांदुला बांध में देखी जा रही है जहां 60.40 फीसदी, धमतरी के रविशंकर बांध में 62.60 फीसदी तो कोरबा के मिनीमाता बांगो बांध में 79.51 फीसदी जल भराव हो पाया है। प्रदेश के 16 जिले बारिश के मामले में पिछड़ रहे हैं।
कहां कैसी स्थिति
मौसम विभाग के मुताबिक रायपुर के अलावा सुकमा, बीजापुर और मुंगेली में मौसम की स्थिति अन्य जिलों की तुलना में बेहतर है। प्रदेश के 16 जिले ऐसे हैं जहां भयावह स्थिति देखी जा रही है। सुकमा में 399 मिमी बारिश हुई है जबकि सामान्य तौर पर बारिश का यह आंकड़ा 1028 हो जाता था।
सूरजपुर जहां अब तक 643 बारिश हुई है जबकि वहां इस समय तक 943 मिमी वर्षा हो जानी थी। रायगढ़ में 722 बारिश हुई है। यहां इस समय तक 1010 मिमी वर्षा हो जानी थी। नारायणपुर में 1019 सामान्य बारिश होती है जबकि अभी तक महज 737 मिमी बारिश दर्ज हुई है।
कोरिया में यह आंकड़ा 695 है जबकि सामान्य वर्षा 959 मिमी का है। कोरबा में 738 मिमी बारिश रिकार्ड हुई है जो कि सामान्य वर्षा 1113 से बेहद कम है। कोंडागांव में 983 मिमी सामान्य बारिश का रिकार्ड है जहां पर अभी तक 610 मिमी वर्षा दर्ज की गई है।
वनों से अच्छादित कांकेर जिले की स्थिति भी कोई अच्छी नहीं कही जा सकती। यहां पर 759 वर्षा दर्ज की गई है जो कि सामान्य वर्षा 1110 मिमी से पीछे ही है। कबीरधार में अब तक सामान्य वर्षा 713 मिमी दर्ज हो जाती थी जहां पर 447 मिमी ही रिकार्ड की गई है।
जशपुर इस सूची में शामिल है। यहां 574 मिमी वर्षा दर्ज की गई है जबकि अब तक 1168 मिमी बारिश दर्ज होती थी। सामान्य और अब तक की वर्षा के मामले में जांजगीर जिला 986-598, गरियाबंद जिला 910-706, दंतेवाड़ा जिला 1105-837, बेमेतरा जिला 851-577, बस्तर जिला 771-581 और बलरामपुर जिला जहां सामान्य बारिश 963 होती रही है वहां अभी तक 699 मिमी बारिश रिकार्ड हो पाई है।
कृषि मौसम विज्ञानिक डॉ.जीके दास हालांकि स्थिति को कोई बहुत ज्यादा भयावह नहीं बताते हैं। वे कहते हैं कि 15 दिन बारिश नहीं होने का असर धान पर कोई बहुत ज्यादा नहीं पड़ेगा। 3-4 दिनों की बारिश से स्थिति सुधर जाएगी।
मौसम विज्ञान केंद्र के निर्देशक एचपी चंद्रा के मुताबिक फिलहाल सभी जिलों को मिलाकर छत्तीसगढ़ में 22 प्रतिशत कम वर्षा दर्ज की गई है। कई जिलों में बारिश की भरपूर संभावना जताते हुए वे कहते हैं कि औसत बारिश के मामले में 16 जिलों का आंकड़ा चिंताजनक है।