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राजनांदगांव। अविभाजित राजनांदगांव जिले के तीन विधानसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने प्रत्याशियों की घोषणा कर जो माहौल तैयार किया था वह कहीं न कहीं, थोड़ा न थोड़ा उसके लिए परेशानी खड़ा कर रहा है। अब तक लोधी समाज से जिले में किसी को टिकट नहीं मिली है। तो क्या डोंगरगांव क्षेत्र से किसी लोधी को उतारकर भाजपा अपनी सोशल इंजीनियरिंग को दुरूस्त करने का प्रयास करेगी ?
उल्लेखनीय है कि भाजपा ने अपने विधानसभा प्रत्याशियों की पहली सूची में राजनांदगांव संसदीय क्षेत्र में शामिल मोहला-मानपुर, खुज्जी व खैरागढ़ विधानसभा क्षेत्र के लिए प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर दी थी।
मोहला-मानपुर से आदिवासी वर्ग का ही प्रत्याशी उतारा जा सकता है। खुज्जी व खैरागढ़ विधानसभा क्षेत्र चूंकि अनारक्षित हैं इसकारण यहां से किसी भी वर्ग का प्रत्याशी उतारा जा सकता है। खुज्जी से भाजपा ने जिला पंचायत अध्यक्ष गीता घासी साहू को अपना उम्मीदवार बनाया है।
इसी तरह खैरागढ़ विधानसभा क्षेत्र से जिला पंचायत उपाध्यक्ष विक्रांत सिंह भाजपा के उम्मीदवार हैं। पिछले कुछ सालों के दौरान अब तक खैरागढ़ विधानसभा क्षेत्र से लोधी समाज के प्रत्याशी आते रहे हैं। पहली मर्तबा भाजपा ने विक्रांत सिंह को मौका देकर एक तरह से लोधी समाज को नाराज भी कर दिया है।
अब एक ही सीट शेष
राजनांदगांव विधानसभा क्षेत्र को पूर्व मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह के लिए भाजपा के भीतर और बाहर सुरक्षित व संरक्षित माना जा रहा है। यदि इस सीट से भाजपा डॉ.रमन सिंह की ही उम्मीदवारी तय करती है तो जिले में सिर्फ एक डोंगरगांव सीट है जो अनारक्षित वर्ग की होने के चलते किसी की भी उम्मीदवारी के लिए खुली है।
भाजपा ने साहू समाज को टिकट दे दी है। सामान्य वर्ग से विक्रांत सिंह टिकट पा गए हैं। कल को डोंगरगढ़ विधानसभा जो कि आरक्षित है से भी प्रत्याशी घोषित हो जाएगा तो अकेले डोंगरगांव में ही भाजपा को सोशल इंजीनियरिंग सुधारने का काम करना पड़ सकता है।
इस सीट से भाजपा लोधी समाज के किसी व्यक्ति को उतारकर इस समाज की नाराजगी को दूर करने का प्रयास कर सकती है। यदि ऐसा नहीं होता है तो लोधी समाज के मतदाता थोक में भाजपा के खिलाफ जा सकते हैं। और भाजपा ऐसा कभी नहीं चाहेगी।