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रायपुर। प्रदेश के पुलिस महानिदेशक अशोक जुनेजा विधानसभा चुनाव के मद्देनजर किसी भी समय हटाए जा सकते हैं। दरअसल, उनके खिलाफ प्रदेश के मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने नामजद शिकायत कर रखी है।
डीजीपी अशोक जुनेजा की प्रोफाइल बताती है कि वह 1989 बैच के आईपीएस अफसर हैं। 11 नवंबर 2021 को उन्हें पदोन्नत कर प्रदेश का पुलिस प्रमुख बनाया गया था। इसी साल 30 जून को उनकी सेवानिवृत्ति तय थी लेकिन उन्हें सेवा विस्तार मिल गया था।
शासन ने डीजीपी अशोक जुनेजा को 5 अगस्त 2024 तक इस पद पर बने रहने का आदेश किया था। यह सारा प्रकरण 27 जनवरी 2022 के उस आदेश से जुड़ा हुआ था जिसमें 2023 में सेवानिवृत्त होने वाले 3 अफसरों की सेवानिवृत्ति से जुड़ी प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई थी।
राज्य सरकार ने बेहतर काम काज का हवाला देते हुए सेवा विस्तार का यह आदेश जारी किया है। वैसे भी लोक सेवा आयोग के निर्देश हैं कि डीजीपी जैसे महत्वपूर्ण पद पर किसी भी आईपीएस को न्यूनतम दो साल के लिए ही नियुक्त करना होगा।
हटाए जाने की चर्चा कैसे शुरू हुई ?
भारत निर्वाचन आयोग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार हाल ही में छत्तीसगढ़ प्रवास पर थे। छत्तीसगढ़ में निष्पक्ष और शांतपूर्ण चुनाव कराने की पृष्ठभूमि तैयार करने आयोग की टीम का यह प्रवास हुआ था।
इस दौरान भाजपा की ओर से आयोग को एक पत्र लिखा गया था। भाजपा प्रतिनिधि मंडल में रायपुर के सांसद सुनील सोनी के अलावा नरेश गुप्ता व डॉक्टर विजय शंकर मिश्रा भी शामिल थे। इस पत्र में प्रदेश में निष्पक्ष चुनाव को लेकर आशंका जताई गई थी।
पत्र में छत्तीसगढ़ में तत्काल चुनाव आचार संहिता लगाने की भी मांग उठाई गई थी। राज्य को अति संवदेनशील घोषित करने की मांग के अलावा छत्तीसगढ़ के पुलिस महानिदेशक जुनेजा की नामजद शिकायत करते हुए तत्काल हटाने की मांग प्रमुख तौर पर उठाई गई थी।
इसके अलावा भाजपा ने संविदा पर काम कर रहे अधिकारी-कर्मचारियों (आईएएस-आईपीएस) को चुनाव कार्य से हटाने की जरूरत जताई थी। खनिज, आबकारी, डीएमएफ से जुड़े और चुनाव कार्यों में संलग्न अधिकारी-कर्मचारियों के खिलाफ भी कार्यवाहीचाही गई थी।
भाजपा ने आरोप लगाया है कि छत्तीसगढ़ में अधिकारी-कर्मचारी कांग्रेस कार्यकर्ता की तरह कार्य कर रहे हैं। प्रतिनिधि मंडल ने गुरुवार को भारत निर्वाचन आयोग से मुलाकात की थी। चुनाव आयोग से कहा था कि छत्तीसगढ़ के क्लास वन आफिसर (आईएएस-आईपीएस) दागी हैं। इनके खिलाफ ईडी और इनकम टैक्स जांच कर रही है। इनको नोटिस मिली है।
आयोग को बताया गया था कि आबकारी के तो पूरे अमले को नोटिस मिली है। ऐसे अधिकारियों को जो राज्य सरकार के दबाव में काम कर रही है, इनको चुनाव के काम में नहीं लगाया जाना चाहिए। भाजपा की यह शिकायत आयोग ने गंभीरतापूर्वक नोट कर ली थी।
अब प्रदेश के डीजीपी अशोक जुनेजा के खिलाफ जो शिकायत की गई थी वह संभवत: असर दिखा सकती है। डीजीपी जुनेजा को शायद हटाकर चुनाव आयोग प्रदेश के आला अधिकारियों को यह संदेश देना चाहे कि चुनाव उसके दिशा निर्देश और मापदंड अनुसार ही होंगे। यदि ऐसा होता है तो भाजपा की यह नैतिक जीत हो सकती है।