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राजनांदगांव। धर्मांतरण का मुद्दा इस विधानसभा चुनाव में प्रमुखता से उठाने का काम कुछ राजनीतिक दल करने की कोशिश कर रहे हैं। कांग्रेस सरकार के समय क्यों और कैसे लोग अपना धर्म परिवर्तित कर रहे हैं यह जानने समझने के स्थान पर इस मुद्दे पर चुनाव लड़ने की तैयारी की जा रही है। पूर्व मुख्यमंत्री का निर्वाचन मुख्यालय भी धर्म परिवर्तन से अछूता नहीं रह गया है।
प्रदेश में राजनांदगांव को संस्कारधानी शहर के नाम से जाना जाता है। अमूमन यहां सभी धर्मों के लोग शांतप्रिय माहौल में रहते हैं। बीते कुछ समय से लेकिन इस खूबी को न जाने किसकी नजर लग गई कि यहां भी संप्रदायिकता का भाव बड़ी तेजी से पनपने लगा है।
कमजोर बस्ती निशाने पर
उल्लेखनीय है कि राजनांदगांव जैसा शहर जहां कालोनियों के अलावा पुरानी व घनी बस्तियां पहले से मौजूद हैं वहां बड़ी तेजी से धर्मांतरण की समस्या पनप रही है। बताया जाता है कि राजनांदगांव की कमजोर व गरीब बस्तियां धर्मांतरण करने और कराने वालों के निशाने पर है।
पूर्व मुख्यमंत्री का निर्वाचन मुख्यालय होने के बावजूद यहां जिस तेजी से लोगों के धर्म बदलने की खबर सुनाई देती है उतनी ही तेजी से किसी कार्यवाही की खबर आज तक शायद ही लोगों को सुनाई दी हो। जिला मुख्यालय में जब प्रशासन की नाक के नीचे यदि लोग वास्तव में धर्म परिवर्तित कर रहे हैं तो जिले के दूर दराज क्षेत्रों की सहज कल्पना की जा सकती है।
प्रथम प्रकरण : पहला प्रकरण एक आटो चालक से जुड़ा हुआ है। उसकी पत्नी घरों में साफ सफाई का काम करती है। अटल आवास निवासी इस व्यक्ति ने कुछ माह पूर्व अपना धर्म परिवर्तित किया था। अब उसे आर्थिक सहायता मिलने की खबर भी सुनाई देती है। इस दंपत्ति को धर्मांतरण के एवज में आर्थिक सहायता के अलावा राशन आदि की भी मदद दी जा रही है।
दूसरा प्रकरण : शहर की एक नामी होटल में आपूर्तिकर्ता का काम करने वाला व्यक्ति कुछ वर्ष पूर्व धर्म परिवर्तित कर चुका है। जगह जगह इसकी चर्चा सुनाई देती है। जिस समय इसने धर्म परिवर्तित किया था उस समय प्रदेश में भाजपा की सरकार थी और यहां के विधायक प्रदेश के मुखिया हुआ करते थे। यह होटल जीई रोड किनारे है।