नेशल अलर्ट/www.nationalert.in
जबलपुर। अवमानना… वह भी अदालत की तो कार्यवाही तो होनी ही थी। न्यायालय ने अपने आदेश की अवमानना को इतना गंभीरता से लिया कि भारतीय प्रशासनिक सेवा के दो अधिकारी इसमें निपट गए। मामला संविदा कर्मचारी से जुड़ा हुआहै।
शुक्रवार का दिन प्रदेश के संविदा कर्मियों के इतिहास में यादगार कहा जाएगा। इस दिन जिला पंचायत छतरपुर की संविदा कर्मचारी रचना त्रिपाठी से जुड़े मामले में जबलपुर हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। फैसले में दो आईएएस लपेटे में आ गए।
प्रावधान बिना हुआ था स्थानांतरण
उल्लेखनीय है कि किसी भी शासकीय सेवा में यदि कोई कर्मचारी संविदा पर कार्यरत है तो उसके स्थानांतरण का प्रावधान नहीं होता है। इसके बावजूद रचना द्विवेदी जो कि छतरपुर जिले में जिला पंचायत के अधीन जिला समन्वय पद पर कार्यरत थी को विद्वान आईएएस अधिकारियों ने स्थानांतरित कर दिया था।
आईएएस शीलेंद्र सिंह तब छतरपुर के जिलाधीश हुआ करते थे। फिलहाल वह सामाजिक न्याय विभाग भोपाल में उपसचिव का दायित्व संभाल रहे हैं। आईएएस अमर बहादुर सिंह जिला पंचायत छतरपुर के मुख्य कार्यपालन अधिकारी हुआ करते थे। इन दिनों वह जबलपुर में ही एडिशनल कमिश्नर के दायित्व को संभाल रहे हैं।
जब जिला पंचायत छतरपुर में सीईओ के पद पर अमर बहादुर सिंह पदस्थ थे तब उन्होंने जिला समन्वय पद पर संविदा कर्मचारी रहीं रचना द्विवेदी को बड़ा मलहरा स्थानांतरित कर दिया था। जबकि नियम मुताबिक ऐसा नहीं किया जा सकता है।
इस पर रचना द्विवेदी ने अदालत का रूख अख्तियार किया है। जबलपुर उच्च न्यायालय ने रचना के स्थानांतरण आदेश को स्थगित कर दिया था। इसके बावजूद रचना पर बड़ा मलहरा में कार्यभार नहीं संभालने की जिम्मेदारी डालते हुए उसे सेवा से पृथक कर दिया गया।
थक हारकर रचना ने पुन: जबलपुर उच्च न्यायालय में अवमानना याचिका दायर की। अपने अधिवक्ता के माध्यम से उसने अदालत को बताया कि उसके आदेश का पालन नहीं हो रहा है। उसे सेवा से पृथक कर अन्य किसी व्यक्ति को सेवा में रख लिया गया है।
इसे न्यायालय ने गंभीरता से लिया। उसने तत्कालीन जिलाधीश शीलेंद्र सिंह सहित जिला पंचायत छतरपुर के तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी आईएएस अमर बहादुर सिंह को अवमानना का नोटिस जारी किया था।
सभी पक्षों की सुनवाई के बाद अंतत: हाईकोर्ट ने आईएएस सिंह व आईएएस अमर बहादुर को अपने आदेश की अवमानना का दोषी पाया। दोष निर्धारण का आदेश 5 अगस्त को जारी हो गया था। सजा का निर्धारण पहले 11 अगस्त को तय था जो कि 18 अगस्त को निर्धारित हुआ।
मामले में दोनों आईएएस अफसर सात दिनों की जेल की सजा सुनकर भौंचक रह गए। दोनों को ज्यूडिशियल कस्टडी में ले लिया गया। फिलहाल सजा के आदेश पर इन्हें स्टे भी प्राप्त हो गया है।