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रायपुर। छत्तीसगढ़ में 365 ऐसे मरीज हैं जिनके मरने के बाद भी उन पर उपचार के नाम पर लाखों रूपए खर्च किए गए थे। इसका खुलासा भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) की रपट में हुआ है।
मामले की गंभीर बात यह है कि इस तरह के प्रकरण में छत्तीसगढ़ ने पूरे देश में तीसरा स्थान प्राप्त किया है। तीसरे स्थान पर रहे छत्तीसगढ़ के 365 मरीजों के मामले में उनकी मृत्यु के बाद भी 33,70,985 रुपये का भुगतान किए जाने की जानकारी निकलकर सामने आई है।
6.97 करोड़ के भुगतान पर सवाल
दरअसल केंद्र सरकार ने स्वास्थ्य बीमा योजना लागू कर रखी है। योजना का उद्देश्य गरीब और कमजोर तबके के लोगों को उपचार के अभाव से बचाना है। हालांकि 2018 में शुरू की गई यह योजना कई जगहों पर नियंत्रण के अभाव में फेल होती नजर आती है।
पूरे देशभर में इस योजना पर खर्च की गई राशि का कैग ने मूल्यांकन किया है। इसे परफॉरमेंस ऑडिट कहा जाता है। कैग इसे‘ट्रीटमेंट ऑफ अ बेनेफिशियरी शोन ऐज़ डाइड डूरिंग अर्लीयर क्लेम/ट्रीटमेंट’ शीर्षक से उल्लेखित करता है।
आश्चर्यजनक रूप से कैग ने मूल्यांकन के दौरान यह पाया कि योजना की लेनदेन प्रबंधन प्रणाली में ढेर सारी खामियां हैं। जैसे कि उन मरीजों को भी योजना के तहत उपचार का लाभ उठाते दिखाया गया है जिन्हें टीएमएस में मृत दिखाया गया था।
इस तरह के कुल जमा 3,446 मरीजों के आंकड़े सामने आए हैं। ये वह मरीज थे जो कि पहले मृत हो चुके थे लेकिन बाद में भी इलाज के लिए इन पर रुपयों का भुगतान किया गया।
कैग ने अपने ऑडिट में इस तरह के 3,903 दावे पाए थे जो कि 3,446 मरीजों से संबंधित थे। इन पर देश में फैले अस्पतालों को 6.97 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था।
केरल, मध्यप्रदेश के बाद छग का नंबर
ऑडिट में पाया गया कि ऐसे दावे थे और देश भर के अस्पतालों को केरल में ऐसे ‘मृत’ रोगियों की संख्या सबसे अधिक 966 थी, जिनके दावों का भुगतान किया गया था। उनके ‘इलाज’ के लिए कुल 2,60,09,723 रुपये का भुगतान किया गया।
मध्य प्रदेश में 403 ऐसे मरीज थे, जिनके लिए 1,12,69,664 रुपये का भुगतान किया गया था। अब छत्तीसगढ़ का नंबर तीसरे स्थान पर है।
मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार, अगर किसी मरीज की अस्पताल में भर्ती होने के बाद और छुट्टी से पहले मृत्यु हो जाती है, तो ऑडिट के बाद अस्पताल को भुगतान किया जाता है। कैग की यह रपट देशभर में चर्चा का विषय है।