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काफी दिनों के बाद जनचर्चा लेकर सुधी पाठकों के बीच उपस्थित हुआ हूं। इस बार की जनचर्चा हमारे अपनों के संदर्भ में है। संदर्भ भी ऐसा कि लिखने में भी सोचना समझना पड़ रहा है।
हम पत्रकार दुनिया जहान की खबर लेते रहते हैं। लेकिन कोई हमारी खबर ले तो कैसा रहेगा ? यूं कहें तो छत्तीसगढ़ के विभिन्न गढ़ों में खोज खबर लेने छापे डाले जा रहे हैं। इसी छापे से एक उड़ती हुई खबर हम पत्रकारों के संदर्भ में सुनाई दे रही है।
बताया तो यह तक जाता है कि तकरीबन ढाई दर्जन पत्रकार इस खबर से वास्ता रखते हैं। चाहे राजनांदगांव हो, या धमतरी या फिर कोरबा अथवा रायगढ़ ही क्यों न हो… इन सबने राजधानी रायपुर के पत्रकारों को अकेला नहीं छोड़ा है।
अभी हाल ही में इंद्रप्रस्थ से आई एक टीम ने खालवाटिका में छापा डाला था। खालवाटिका निवासी अधिकारी निवास में इस छापे के दौरान बतौर चर्चा मुताबिक एक दैनंदनी मिली है। इसी दैनंदिनी में लगभग 3 दर्जन पत्रकारों के नाम उल्लेखित किए गए हैं।
अब यह नाम क्यूं उल्लेखित हुए हैं ये इंद्रप्रस्थ से आई टीम ही बता सकती है अथवा दैनंदिनी लिखने वाले अधिकारी। लेकिन चूंकि नाम शामिल हैं बताए जाते हैं इसकारण जन जन के बीच चर्चा भी हो रही है। जनचर्चा खालवाटिका से लेकर इंद्रप्रस्थ तक सुनाई दे रही है।
चर्चा मुताबिक नंदग्राम के तीन प्रमुख पत्रकारों के नाम शामिल बताए जाते हैं। इसी तरह धम्म-तराई के दो नाम शामिल बताए जाते हैं। पावरसिटी और रायरी के भी कुछेक नाम शामिल हैं ऐसा पता चला है। अब बाकी नाम बेशक राजधानी के हो सकते हैं लेकिन इन नामों ने पत्रकारों के बीच ही एक तरह से परदा खींच दिया है।
आने वाले समय में यदि इन पत्रकारों के नामों के साथ किस्से कहानियां सुनाई दे तो आश्चर्य जरा भी मत करिएगा। क्यों… क्यूंकि इन पत्रकारों ने आने और जाने का जो रास्ता चुन रखा था उस रास्ते में दिखाई दे रहे कांटे अब इन्हें चुभ सकते हैं।