सुकमा।
भारतीय महिला फेडरेशन ने चिंतागुफा दुष्कर्म पीडि़ता का पुन: चिकित्सकीय परीक्षण कराने की मांग की है। इसके लिए फेडरेशन की जिलाध्यक्ष कुसुम नाग ने बकायदा आईजी को पत्र लिखा है। पुलिस महानिरीक्षक को लिखे गए पत्र में नाग ने सुकमा पुलिस पर आरोपियों को बचाने का आरोप भी लगाया है। उन्होंने लिखा है कि शिकायत के बावजूद पुलिस ने दोषियों के खिलाफ एफआईआर तक दर्ज नहीं की।
गौरतलब है कि इससे पूर्व 7 अप्रैल को पीडि़ता की शिकायत पर जिला अस्पताल व मेकाज में दो बार मेडिकल जांच की जा चुकी है। जिसमें दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हुई है। भारतीय महिला फेडरेशन की जिला अध्यक्ष कुसुम नाग ने पत्र में लिखा है कि पीडि़ता की माता ने पुलिस अधीक्षक व कलेक्टर को लिखित शिकायत से अवगत कराते हुए पीडि़ता की जांच महिला डॉक्टरों की टीम से कराने का निवेदन किया था। स्थानीय पुलिस द्वारा पीडि़ता का प्रारंभिक चिकित्सा परीक्षण जिला अस्पताल में कराकर उसे जगदलपुर भेज दिया गया।
सम्मानजनक व्यवहार नहीं किया
नाग लिखतीं हैं कि जिला अस्पताल सुकमा की महिला एवं जगदलपुर के चिकित्सकों ने पीडि़ता के अलावा उसकी माता से सम्माजनक व्यवहार नहीं किया। भारतीय दण्ड संहिता में यह प्रावधान है कि किसी संज्ञेय अपराध की सूचना पुलिस को प्राप्त होने पर उन्हें धारा 154 दण्ड प्रक्रिया संहिता के तहत सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार तत्काल प्राथमिकी दर्ज किये जाने के निर्देश है।
इसके पश्चात भी पीडि़ता की माता द्वारा लिखित सूचना दिये जाने के उपरांत भी स्थानीय पुलिस द्वारा संबंधित दोषियों के खिलाफ अबतक प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है, बल्कि पीडि़ता और उसकी माता के साथ आरोपियों की तरह बर्ताव किया जा रहा है। विधिक प्रावधानों के तहत प्रथम सूचना पत्र लेखाबद्ध कर उसके आगे की जांच की जानी होती है। इस प्रकरण में पुलिस दोषियों को जानबूझकर बचाने के उद्देश्य से विधि-विरुद्ध जाकर जांच का ढोंग कर रही है।