नेशन अलर्ट/रायपुर.
ऐसा संभवत: पहली बार हुआ है जब नरेंद्र मोदी की नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने देश के किसी आईएएस-आईपीएस का निलंबन निरस्त कर दिया हो। वह भी तब जब महज 14 दिन बाद आईपीएस अफसर का रिटायरमेंट तय था। जी हां.. बात यहां आईपीएस मुकेश गुप्ता की हो रही है जो कि वर्ष 1988 बैच के छत्तीसगढ़ कैडर के अधिकारी हैं। अब इस बात की संभावना जताई जा रही है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय यानि कि एमएचए उनके सेवा विस्तार की दिशा में भी कोई ठोस निर्णय अतिशीघ्र ले सकता है।
आईपीएस मुकेश गुप्ता को प्रदेश की तत्कालीन रमन सरकार के समय बेहद दबंग अफसर माना जाता था। उनकी दबंगई इस हद तक थी कि उन्होंने वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को तब जब वह प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हुआ करते थे प्रकरणों में उलझाने की कोशिश की थी। समय बदला… चेहरे बदले… भूमिका बदली… किस्मत भी बदल गई।
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विवादों से रहा है नाता
आईपीएस मुकेश गुप्ता का विवादों से चोली दामन का नाता रहा है। उज्जैन एसपी रहते हुए वह फोन के दुरूपयोग के मामले में चर्चा में आए थे। इसके बाद रायपुर में पदस्थ रहते हुए वह तत्कालीन जोगी सरकार के समय तब के नेता प्रतिपक्ष नंदकुमार साय पर हुए लाठी चार्ज को लेकर चर्चा में रहे थे। इसी दौरान उन पर डॉ.मिक्की मेहता की संदिग्ध मौत को लेकर उनकी ससुराल वाले कई तरह के आरोप लगाते रहे।
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दुर्ग आईजी रहने के दौरान भी वह विवादों से बच नहीं पाए। उन पर आरोप लगा कि उन्होंने राजनांदगांव के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक विनोद चौबे को तब नक्सलियों से लड़ने मजबूर किया जब वह किसी दूसरी योजना में व्यस्त थे। इसी एनकाउंटर में एसपी विनोद चौबे सहित दो दर्जन से अधिक पुलिस वाले मारे गए थे।
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एडीजी बनने के बाद आईपीएस मुकेश गुप्ता ने रमन सरकार के समय ईओडब्ल्यू-एसीबी का कार्यभार बेहद विवादास्पद तरीके से संभाला था। उस समय नागरिक आपूर्ति निगम (नान) पर उन्होंने जो छापे डाले थे वह फोन टेपिंग के सहारे डाले गए थे। उस वक्त उनके निर्देश का पालन तब एसीबी के पुलिस अधीक्षक रहे आईपीस रजनेश सिंह ने किया था।
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प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनते ही आईपीएस मुकेश गुप्ता के बुरे दिन शुरू हो गए थे। 9 फरवरी 2019 को आईपीएस गुप्ता को साथी अफसर रजनेश सिंह के साथ निलंबित कर दिया गया। इसके अलावा उन पर एमजीएम के मुख्य ट्रस्टी रहते हुए राज्य सरकार से ट्रस्ट को मिले करोड़ों रूपए की हेराफेरी का भी आरोप लगा। मामले में आईपीएस गुप्ता के पिता जयदेव गुप्ता, डायरेक्टर डॉ.दीपशिखा अग्रवाल के विरूद्ध उसी एसीबी में प्रकरण दर्ज किया गया जिस एसीबी को कुछ समय पहले तक आईपीएस मुकेश गुप्ता चलाया करते थे। इसके अलावा उन पर सुपेला थाने (दुर्ग) में जमीन घोटाले को लेकर भी एक एफआईआर दर्ज की गई थी।
बहरहाल, 9 फरवरी 2019 को आईपीएस गुप्ता को निलंबित कर 6 मार्च 2019 को उन्हें आरोप पत्र जारी कर दिया गया। इसे उन्होंने कैट जबलपुर, हाईकोर्ट बिलासपुर में चुनौती दी और केंद्रीय गृह मंत्रालय में अपील प्रस्तुत की। इस अपील पर जब टिप्पणी मांगी गई तब राज्य सरकार ने 1 जून 2022 को अपनी टिप्पणी प्रस्तुत करी।
केंद्रीय गृह मंत्रालय को आईपीएस मुकेश गुप्ता ने 17 अगस्त 2022 को एक अभ्यावेदन दिया था। इस अभ्यावेदन में उन्होंने उल्लेख किया था कि वह साढ़े तीन वर्षों से निलंबित हैं। दर्ज किए गए सभी मामलों में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा रोक लगाए जाने सहित आईपीएस मुकेश गुप्ता ने विभिन्न न्यायालय के आदेशों की प्रतियां राज्य सरकार की फाइलों की नोटशीट, कैट के आदेश की प्रतियों के सहित प्रस्तुत की थी।
3 मई 2019 को आईपीएस मुकेश गुप्ता द्वारा की गई अपील की सुनवाई करते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उनके द्वारा 17 अगस्त 2022 को दिए गए अभ्यावेदन और उस पर राज्य सरकार द्वारा 1 जून 2022 को प्राप्त टिप्पणी का अध्ययन किया। अध्ययन के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 16 सितंबर को एक आदेश जारी किया जिसमें उसने आईपीएस मुकेश गुप्ता के निलंबन को निरस्त कर दिया गया है।
सेवानिवृत्ति के पहले मिली खुशी
उल्लेखनीय है कि आईपीएस गुप्ता की सेवानिवृत्ति आगामी 30 सितंबर को तय है। सेवानिवृत्त होने के ठीक पहले अपने निलंबन समाप्त होने की उन्हें एक बड़ी खुशी मिली है। अब इससे प्रदेश की पुलिस की राजनीति पर भी जबरदस्त असर पड़ेगा। वो लोग जो इन दिनों आईपीएस मुकेश गुप्ता से बचते फिर रहे थे वह उनके साथ एक बार फिर से जुड़ सकते हैं।
राज्य सरकार के लिए भी यह नैतिक हार है। राज्य की भूपेश सरकार के लिए आईपीएस मुकेश गुप्ता के निलंबन को केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा सीधे तौर पर निरस्त कर दिए जाने के पीछे की राजनीति पर भी बात होने लगी है। चर्चा इस बात की भी है कि राज्य सरकार की कमजोरियों के ही चलते आईपीएस मुकेश गुप्ता का निलंबन निरस्त किया गया है।
कारण चाहे जो कुछ भी हो लेकिन इतना तय है कि आईपीएस मुकेश गुप्ता ने अपने रिटायरमेंट के ठीक पहले अपने निलंबन को निरस्त करवा कर एक तरह से अपनी ताकत, अपनी पहुंच का अहसास करवाया है। कह तो यह तक जा रहा है कि आईपीएस मुकेश गुप्ता की योजना सेवानिवृत्त होने के पहले अपनी सेवा को साल छ: महीना बढ़ाने का भी है। हालांकि इसकी कोई पुष्टि नहीं कर रहा है लेकिन धुआं यदि उठ रहा है तो आग कहीं लगी ही होगी। यदि ऐसा होता है तो आईपीएस मुकेश गुप्ता सरकार के खिलाफ एक बड़ी जीत हासिल कर ले जाएंगे।