नेशन अलर्ट/बस्तर.
610 साल पुरानी परंपरा का निर्वहन करते हुए बस्तर के ग्रामीण एक बार फिर से 75 दिनों तक चलने वाले बस्तर दशहरा के लिए रथ तैयार करने में जुट गए हैं। सिरहासार भवन में डेरी गड़ाई की रस्म के पूरा होने के बाद साल और तिनसा प्रजाति के पेड़ों को लाने का क्रम चालू हो गया है। वन विभाग दशहरा समिति को निशुल्क यह पेड़ उपलब्ध करवा रहा है।
बस्तर संभाग में दो गांव दरभा और माचकोट के जंगल से हर साल रथ निर्माण के लिए साल और तिनसा प्रजाति के पेड़ों को लाया जाता है। आठ पहियों वाले विजयरथ के निर्माण में तकरीबन 150 कारीगर लगते हैं। लगभग 240 पेड़ों की लकड़ी से विश्व भर में प्रसिद्ध बस्तर दशहरा का विजयरथ निर्मित होता है।
54 घनमीटर लकड़ी की जरूरत होती है
जानकार बताते हैं कि बस्तर दशहरा में रथ निर्माण के लिए तकरीबन 54 घनमीटर लकड़ी की जरूरत होती है। बेड़ाउमर और झारउमर ये दो ऐसे गांव हैं जहां के कारीगर हर साल बस्तर दशहरा के लिए रथ निर्माण करते हैं। प्रत्येक वर्ष चार और आठ पहियों वाला रथ बस्तर दशहरा में तैयार करके सालों पुरानी परंपरा अनुसार प्रस्तुत किया जाता है।