नेशन अलर्ट/सुकमा.
आदिवासी एक बार फिर पोलावरम डैम के विरोध में धरना प्रदर्शन पर उतारू हो गए हैं। अपनी तीन सूत्रीय मांगों को लेकर कोंटा के बस स्टैंड में पोलावरम पुनर्वास समिति के बैनर तले सैकड़ों ग्रामीणों ने एक दिन का धरना दिया था।
उल्लेखनीय है कि पोलावरम डैम छत्तीसगढ़ के पड़ोसी राज्य आंध्रप्रदेश में निर्माणाधीन है। प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह के समय से इस योजना का बस्तर के लोग विरोध करते आ रहे हैं। अब जबकि इसका निर्माण द्रुत गति से आंध्रप्रदेश सरकार करा रही है तो बस्तर संभाग के सुकमा जिले का कोंटा क्षेत्र एक बार फिर से उद्वेलित हो गया है।
पहले सर्वे की मांग
ग्रामीण बताते हैं कि इसी साल जुलाई माह में जो बाढ़ आई थी उसके चलते हजारों ग्रामीण प्रभावित हुए थे। इसके मद्देनजर ग्रामीण अब बाढ़ से प्रभावित लोगों को तत्काल मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं। साथ ही साथ वे कहते हैं कि पोलावरम बांध से कोंटा ब्लॉक के जो भी गांव बांध के डूबान क्षेत्र में आ रहे हैं उनकी सूची तैयार की जाए। इन गांवों का सर्वे प्राथमिकता के आधार पर पहले किया जाए।
ग्रामीण जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं प्रदर्शन में शामिल हुई थीं पूछती हैं कि सर्वे रपट में उल्लेख हो कि परियोजना की वजह से कितने गांव डूबेंगे और कितने खेतों का नुकसान होगा। इसके साथ अपने घरों की चिंता करते हुए वे जानना चाहती हैं कि बांध के पानी के असर से कितने घरों को खाली करना पड़ेगा। पेशा कानून के तहत जिले के प्रत्येक गांव में ग्राम सभा आयोजित कर वनाधिकार पट्टा, सामूहिक पट्टा, कृषि कार्य कर रहे कब्जे वाली जमीन के सभी रिकार्ड प्रस्तुत किए जाए। मांग पूरी नहीं होने पर उन्होंने भविष्य में बड़ा आंदोलन छेड़ने की बात कही है।