नेशन अलर्ट/मोहला.
मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी… इन सभी स्थानों का दर्जा अब बढ़ गया है। इनमें कोई पहले ग्राम पंचायत तो कोई नगर पंचायत होने का दर्जा रखता था लेकिन अब ये तीन आदिवासी बहुल ब्लॉक जिला का दर्जा रखते हैं। अभी कार्यालयों का आबंटन का कागज सामने नहीं आया है इसकारण कोई नहीं जानता कि कौन सा कार्यालय किसे मिलेगा लेकिन इतना तय है कि मोहला में जिलाधीश बैठा करेंगे… पुलिस कप्तान बैठा करेंगे… करेंगे नहीं बल्कि कर चुके हैं।
जिलाधीश जिन्हें छत्तीसगढ़ की ज्यादातर जनता कलेक्टर के अंग्रेजी संबोधन से ज्यादा बेहतर तरीके से जानती है अपने क्षेत्र को अपने नजरिए से देख रहे हैं तो पुलिस अधीक्षक जिन्हें जनता पुलिस कप्तान के रूप में जानती है अपने जिले को देखने समझने इन दिनों दौरे पर हैं।
फोटो कैसे वायरल हुई ?
मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी जिले में प्रथम पुलिस कप्तान का जिम्मा निभाने की जिम्मेदारी राज्य सरकार ने आईपीएस वाय अक्षय कुमार को सौंप दी है। युवा पुलिस अधिकारी कुमार अपनी उम्र का, अपनी सेहत का भरपूर फायदा भी उठाते नजर आ रहे हैं। चूंकि वह कम उम्र के हैं इसकारण ज्यादा जाग सकते हैं… घूम फिर सकते हैं… भ्रमण कर सकते हैं।
आईपीएस कुमार इन दिनों ऐसा कर भी रहे हैं। वह मध्यरात्रि के आसपास बेतकल्लुफ होकर जिलों के थानों के निरीक्षण पर निकल रहे हैं। उदाहरण बतौर औचक बताया जाने वाला यह निरीक्षण आईपीएस कुमार ने अंबागढ़ चौकी थाने में किया था। चौकी के जयस्तंभ चौक, बांधाबाजार पाइंट का निरीक्षण कर एसपी कुमार अचानक ही चौकी थाने पहुंचे थे।
बताया तो यह तक जाता है कि उस दौरान चौकी के थाना प्रभारी पूरी तन्मयता के साथ अपनी रात्रिकालीन ड्यूटी पर उस थाने में मौजूद थे जिस थाने को नक्सली पाइंट ऑफ व्यूह से बेहद संवेदनशील थाना माना जाता है। थाना प्रभारी की मौजूदगी में ही थाने का ज्यादातर स्टाफ अपनी रात्रिकालीन ड्यूटी पर उपस्थित था।
आईपीएस कुमार का इस तरह से अचानक मध्यरात्रि को नक्सल प्रभावित थाने में पहुंच जाना चौंकाने वाला तो है ही बल्कि पुलिस के लिए जनता के बीच अपनी छवि सुधारने बेहद जरूरी भी है। दरअसल, रात में थानों में मौजूद सिपाही-प्रधान आरक्षक स्तर के कर्मचारी आगंतुकों से अधिकारी सरीखा व्यवहार करने लगते हैं। और तो और रात्रि में लाए गए आरोपियों से थाने के भीतर बुरी तरह के पिटाई के अनगिनत किस्से रोजनामचों के पन्नों से बाहर निकल अखबारों की सुर्खियां बन चुके हैं।
ऐसे में इस तरह का आकस्मिक निरीक्षण बेहद जरूरी भी है। चूंकि इससे काम में कसावट आएगी… जिम्मेदारी पनपेगी… काम की गति बढ़ने से काम के जल्दी खत्म होने का अवसर निर्मित होगा… और एमएमसी नाम के शॉट फार्म से पुकारे जाने वाले नए जिले के एसपी कुमार ऐसा बेहद गंभीरतापूर्ण कार्य कर भी रहे हैं।
… लेकिन सवाल फिर यह उठता है कि फोटो वायरल कैसे हुई ? तस्वीर अखबारों के दफ्तरों तक कैसे पहुंची ? क्या कोई थाने के भीतर उस समय मौजूद था जब एसपी वाय अक्षय कुमार नाम का युवा आईपीएस आकस्मिक निरीक्षण पर थे ? क्या उसी भीतरी व्यक्ति ने फोटो खींचकर वायरल की है या फिर पुलिस फोटोग्राफर नाम का वह शासकीय कर्मचारी शायद उस वक्त रात के तकरीबन 1 बजे अपनी ड्यूटी पर पूरी कर्तव्यनिष्ठा के साथ तब मौजूद था जब किसी कस्बे… गांव की ज्यादातर जनता सो जाती है।