0 मुख्यमंत्री के गृह जिले का भी खाता नहीं खुला
मृत्युंजय
नेशन अलर्ट/रायपुर.
प्रदेश में भाजपा का कायाकल्प हो गया है। एक तरह से बूढ़ी हो चली भाजपा को जवां बना दिया गया है। इसमें भी लेकिन कई तरह की कमीबेशी रह गई है। एक ओर प्रदेश के मुख्यमंत्री के गृह जिले से किसी भी पदाधिकारी को भाजपा अपने प्रदेश अध्यक्ष की कार्यकारिणी में लेने से हिचकती रही तो दूसरी ओर नवगठित पांच जिलों से भी किसी को भी अवसर नहीं मिला।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बनने के बाद बिलासपुर के सांसद अरूण साव ने रविवार को अपनी कार्यकारिणी घोषित की। अध्यक्ष पद का दायित्व संभालने के तकरीबन एक महीने के बाद साव ने भले ही कार्यकारिणी घोषित कर दी है लेकिन इससे वरिष्ठ कार्यकर्ताओं सहित कुछ एक जिले के पदाधिकारी आने वाले दिनों में रूष्ट हो सकते हैं।
रायपुर का दबदबा लेकिन दुर्ग खाली
साव की कार्यकारिणी में रायपुर जिले का दबदबा देखा जा रहा है। दरअसल, रायपुर जिले और ग्रामीण को मिलाकर कुल जमा 19 पदाधिकारी लिए गए हैं। इसके बाद अध्यक्ष ने अपने गृह जिले बिलासपुर के अलावा धमतरी, जांजगीर चांपा और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के निर्वाचन जिले राजनांदगांव से तीन-तीन पदाधिकारी चुने हैं। इनके बाद दो पदाधिकारी वाले जिले में कांकेर, बलौदाबाजार-भाटापारा, बालोद, रायगढ़, जशपुर, कवर्धा का नाम शामिल है।
एक-एक पदाधिकारी देने का सौभाग्य प्रदेश के कुल जमा 10 जिलों को मिला है। इनमें सरगुजा, दंतेवाड़ा, गरियाबंद, सूरजपुर, बेमेतरा, नारायणपुर, बस्तर, बलरामपुर, महासमुंद, कोरबा जैसे जिले शामिल हैं। लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि इसमें साव कांग्रेस की प्रदेश सरकार द्वारा गठित किए गए नए जिलों से पदाधिकारी चुनने में कंजूसी कर गए।
साव ने प्रदेश के गौरेला-पेंड्रा-मरवाही, मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी, खैरागढ़-छुईखदान-गंडई, सारंगढ़-बिलाईगढ़, मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर, सक्ती जैसे नवगठित जिलों से किसी भी पदाधिकारी को अपनी कार्यकारिणी में नहीं लेने की चूक कर दी है। एक तो ऐसे ही कांग्रेस इन स्थानों को जिले का दर्जा देकर उससे आगे चल रही है तो दूसरी ओर भाजपा ने इन जिलों से किसी भी पदाधिकारी को नहीं चुनकर अपने पैर पर एक तरह से कुल्हाड़ी मार ली है।
यही हाल उस दुर्ग जिले का भी है जहां से प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आते हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपनी योजनाओं को लेकर एक ओर भाजपा पर बढ़त बनाए हुए हैं तो दूसरी ओर भाजपा ने इस जिले से किसी को भी अपनी प्रदेश स्तरीय कार्यकारिणी में जगह नहीं देकर भले ही कोई संदेश अपने कार्यकर्ता को देना चाहा हो लेकिन इतना तय है कि इससे कार्यकर्ताओं में अघोषित तौर पर नाराजगी भी पनप सकती है।