रायपुर।
चिंतागुफा रेप मामला सामने आने के बाद महिलाओं की संस्था वूमेन अगेंस्ट सेक्सुएल वायलेंस एंड स्टेट रिप्रेशन (डब्ल्यूएसएस) ने एक रिपोर्ट सोशल मीडिया पर जारी की है। इसमें बस्तर में फोर्स द्वारा महिलाओं से दुष्कर्म, मारपीट, बदसलूकी की वारदातों की सूची दी गई है।
डब्ल्यूएसएस की सदस्य और लीगल एड ग्रुप की वकील शालिनी गेरा ने इन मामलों को उठाया है। पीयूसीएल और दूसरे मानवाधिकार संगठनों ने सोशल मीडिया पर इस सूची को वायरल कर सरकार को एक बार फिर से कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की है।
डब्ल्यूएसएस ने कहा है कि हमने यौन हिंसा की जो जांच की है उसमें चार मामले तो खुद एनएचआरसी ने सही पाए हैं। 19 से 24 अक्टूबर 2015 को बीजापुर जिले के पेद्दागेल्लूर, पेगड़ापल्ली, चिन्नगेल्लूर, बुडग़ीचेरू और गुंडम गांवों में फार्स पर ग्रामीण महिलाओं के खिलाफ सामूहिक यौन हिंसा, मारपीट और लूटमार के आरोप लगे।
1नवंबर 2015 को बीजापुर थाने में एफआईआर दर्ज हुई और 4 नवंबर को बासागुड़ा थाने में अपराध की कायमी की गई। यह संशोधित रेप के कानूनों के तहत देश का पहला अपराध बना और इसमें 376 (ग) लगाया गया जो सुरक्षाबलों द्वारा दुष्कर्म की धारा है। घटना में एक नाबालिग सहित तीन महिलाओं से दुष्कर्म तथा 25 महिलाओं से यौन दुर्व्यवहार के आरोपों को एनएचआरसी और आदिवासी आयोग ने भी सही पाया।
कोई गिरफ्तारी नहीं
मामले की जांच सीआईडी कर रही है और अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। दूसरी घटना 12 जनवरी 2106 को सुकमा जिले के कुन्ना एवं छोटा गाटम गांंवों में हुई। 5 महिलाओं को निर्वस्त्र कर सार्वजनिक रूप से घसीटने के आरोप लगे। 2 महिलाओं से रेप की बात कही गई।
इस मामले की भी एनएचआरसी और आदिवासी आयोग ने पुष्टि की है। सीआईडी जांच चल रही है। 11 से 14 जनवरी 2016 के बीच बीजापुर के बासागुड़ा इलाके के बेलमलेंड्रा गांव में जवानों ने 13 महिलाओं से रेप किया। इनकी पुष्टि भी दोनों आयोगों ने की है। सीआईडी जांच कर रहा।
इसी दौरान गंगालूर के कोरचोली में एक विवाहिता से रेप और तीन नाबालिगों से छेड़छाड़ की भी शिकायत सामने आई। डब्ल्यूएसएस की ओर से कहा गया है कि बस्तर में लगातार ऐसी घटनाएं हो रही हैं लेकिन सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। शालिनी गेरा ने कहा इन मामलों में कार्रवाई न होने से ऐसे मामले लगातार सामने आ रहे हैं।