नेशन अलर्ट/रायपुर.
प्रदेश के आईएएस-आईपीएस को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट यानि कि आईटी द्वारा नोटिस थमाए जाने के बाद से प्रशासनिक हलकों में बेचैनी देखी जा रही है। हालांकि नोटिस सामान्य बताई जा रही है लेकिन इसके निहितार्थ निकालने का प्रयास किया जा रहा है कि मामला क्या रंग ले सकता है।
अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी अमूमन काम ऐसा करते हैं कि उसमें किसी भी तरह की पूछपरख का सवाल ही ना उठे। ऐसे अधिकारी साल दरसाल होने वाली कमाई का पूरा ब्यौरा अपने आईटी रिटर्न में दाखिल करते रहते हैं इसके बावजूद यदि किसी भी तरह की पूछताछ करने के हिसाब से इन्हें नोटिस जारी होती है तो यह काबिले तारीफ है।
कमाई पर उठाया सवाल
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ कांग्रेस शासित राज्य है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट केंद्र सरकार के अधीन आता है जहां पर 2014 से भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार बैठी है। इन दिनों आईटी के अलावा सीबीआई व ईडी जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियां देशभर में अपनी कार्यवाही को लेकर सुर्खियां बटोरती रही हैं। विपक्ष केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार को ईडी-सीबीआई व आईटी की सरकार बताते रहा है।
कमाई के मामले में छत्तीसगढ़ ने बीते तकरीबन एक दशक में ही कई बड़े राज्यों को पीछे छोड़ रखा है। छत्तीसगढ़ वही राज्य है जहां पर बेल्लारी (कर्नाटक) से भी अधिक अवैध उत्खनन होते रहा है। जब बेल्लारी यहां मौजूद है तो स्वाभाविक है कि उसे चलाने वाले रेड्डी बंधु भी मौजूद हैं… और जब रेड्डी बंधु हैं तो उन्हें संरक्षण प्रदान करने वाले आईएएस-आईपीएस भी हैं।
माना जा रहा है कि तकरीबन इसी तरह के आईएएस-आईपीएस को इनकम टैक्टस डिपार्टमेंट ने नोटिस थमाई है। इनमें किन-किन अफसरों का नाम है यह भले ही अभी उजागर नहीं हो पाया है लेकिन माना जा रहा है कि इन पर केंद्रीय जांच एजेंसियों की निगाह टेढ़ी हो गई है। कल को किसी के यहां यदि करोड़ों-अरबों का खजाना मिलने की खबर एजेंसियों के छापे के बाद आने लगे तो आश्चर्य नहीं होगा।