नेशन अलर्ट/बलौदाबाजार-भाटापारा.
तो क्या अब लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग को तेल, मिर्च, लहसून, जीरा के व्यवस्था की जिम्मेदारी नहीं उठानी पड़ेगी ? यह सवाल इसलिएकिया जा रहा है क्योंकि कलेक्टर ने बिलाईगढ़ के अनुविभागीय दंडाधिकारी (एसडीएम) के आदेश को निरस्त कर दिया है जिसमें उन्होंने अलग-अलग विभागों के बीच कार्य विभाजित किया था।
उल्लेखनीय है कि सारंगढ़-बिलाईगढ़ नामक नया जिला अस्तित्व में आने वाला है। यह जिला दो जिलों को काटकर बनाया जा रहा है। इस जिले में रायगढ़ और बलौदाबाजार-भाटापारा जिले के हिस्से शामिल हैं। रायगढ़ से काटकर यहां सारंगढ़ को जोड़ा गया है जबकि बलौदाबाजार-भाटापारा से काटकर बिलाईगढ़ को जोड़ा गया है।
सारंगढ़-बिलाईगढ़ के नाम से बनने वाले इस जिले में बिलाईगढ़ एसडीएम का एक आदेश सुर्खियां बटोरने के साथ ही विपक्षी नेताओं के निशाने पर आ गया था। बिलाईगढ़ एसडीएम ने उक्त आदेश जारी किया था जिसमें उन्होंने कार्य विभाजन करते हुए अलग-अलग विभागों को अलग-अलग जिम्मेदारी दी थी।
विपक्ष हो गया था हमलावर
अमूमन ऐसे किसी भी आयोजन के पूर्व कार्य विभाजन संबंधी आदेश जारी होते रहते हैं लेकिन जैसा ब्यौरा इस आदेश में उल्लेखित किया गया था वैसा कभी नहीं किया जाता है। आदेश की कॉपी वायरल होते ही विपक्ष में बैठी भाजपा को बैठे ठाले एक मुद्दा मिल गया।
राजधानी रायपुर के वरिष्ठ विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने इस पर तीखी टिप्पणी की थी। उनकी टिप्पणी के मुताबिक ‘जब पैसे जेब में न हो तो उधार के पैसे से घी पीने का काम ज्यादा लंबे समय तक नहीं चलता है’ कहकर राज्य सरकार की आर्थिक स्थिति पर सवाल उठाए थे।
मामले में तनाव बढ़ता देखकर अंतत: बिलाईगढ़ एसडीएम के उक्त आदेश को ही निरस्त कर दिया गया है। बलौदाबाजार-भाटापारा कलेक्टर रजत बंसल ने आदेश निरस्त करते हुए बिलाईगढ़ एसडीएम को कारण बताओ नोटिस जारी कर दी है।
अब एसडीएम पर क्या कोई कार्यवाही होती है यह तो उनके जवाब देने के बाद ही पता चल पाएगा लेकिन बिलाईगढ़ एसडीएम केएल सोरी का यह आदेश इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। निरस्त हुए आदेश में उन्होंने उल्लेखित किया था कि समारोह में पांच हजार लोगों के भोजन की व्यवस्था करनी है।
अब पांच हजार लोगों का भोजन जुटाने जो जिम्मेदारी विभागों को दी गई थी उसके मुताबिक चांवल, दाल के लिए खाद्य विभाग को राईस मिलों से संपर्क करने को लिखा गया था। इसी तरह सब्जी की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी महिला बाल विकास विभाग को मिली थी।
तेल, मिर्च, लहसून, जीरा, आलू, प्याज से लेकर बर्तन धोने वाले पावडर और ब्रश की जिम्मेदारी का जिम्मा उठाने का बीड़ा लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग को सौंपा गया था। इस आदेश को प्रशासनिक तंत्र की चूक माना गया और सरकार भी इससे नाराज बताई जाती थी। अंतत: आदेश ही निरस्त हो गया है तो क्या अब… तेल, मिर्च, लहसून, जीरा की जिम्मेदारी नहीं उठानी है?