नेशन अलर्ट/रायपुर.
देश की 80 फीसदी जनता साफ पानी से महरूम है। यह पानी के नाम पर जहर पीए जा रही है। देश की सरकार ने भी माना है कि पानी की गुणवत्ता दिनोंदिन घटते जा रही है। दरअसल भूजल में धातु की अधिक मात्रा होने के चलते यह स्थिति निर्मित हुई है।
केंद्र का एक मंत्रालय है… जलशक्ति मंत्रालय। इसी ने एक रपट जारी की है। दस्तावेजों के अध्ययन करने पर जो खबर सामने आई है वह चौंकाने वाली है। सरकार मानती है कि भारत भले ही गांवों में बसता है लेकिन यहां पीने के लिए साफ पानी शहरों की तुलना में बेहद कम है।
गंभीर बीमारियों का खतरा
केंद्र सरकार की रपट बताती है कि देश के तकरीबन सभी राज्य इस तरह की परेशानी का सामना कर रहे हैं। हाल के दिनों में राज्यसभा में उसके द्वारा बताया गया कि देश के अधिकांश जिले के भूजल में जहरीली धातु मिली हुई है।
केंद्र सरकार द्वारा जारी की गई रपट के मुताबिक देश के 25 राज्यों के 209 जिले भूजल में आर्सेनिक की मात्रा की समस्या झेल रहे हैं। यहां एक लीटर भूजल में आर्सेनिक की मात्रा 0.01 मिलीग्राम से अधिक पाई गई है जो कि खतरनाक है।
इसी तरह 29 राज्यों के 491 जिले भूजल में लौह तत्व की समस्या से ग्रसित हैं। इन जिलों में प्रतिलीटर भूजल में 1 मिलीग्राम से अधिक लौह तत्व पाया गया है। 11 राज्य ऐसे हैं जहां के 29 जिले भूजल में कैडमियम की समस्या से जुझ रहे हैं। यहां प्रतिलीटर भूजल में कैडमियम की मात्रा 0.003 मिलीग्राम से अधिक पाई गई है।
देश के 16 राज्य ऐसे हैं जहां के 62 जिले प्रतिलीटर भूजल में क्रोमियम की बढ़ती मात्रा से परेशान हैं। इन जिलों के प्रतिलीटर भूजल में क्रोमियम की मात्रा 0.05 मिलीग्राम से अधिक पाई गई है। इसी तरह 18 राज्य के 152 जिले प्रतिलीटर भूजल में यूरेनियम की अधिक मात्रा से ग्रसित हैं। इन जिलों में प्रतिलीटर भूजल में यूरेनियम की मात्रा 0.03 मिलीग्राम से अधिक बताई गई है।
सरकार ने आवासीय क्षेत्रों की संख्या बताई है जहां पीने का पानी जहर बन चुका है। देश के 671 आवासीय क्षेत्र में पानी में फ्लोराइड अधिक पाया गया है। 517 क्षेत्र ऐसे हैं जहां नाइट्रेट की समस्या है। 814 क्षेत्र आर्सेनिक की परेशानी झेल रहे हैं। 111 क्षेत्र के पानी में हैवी मेटल की समस्या बढ़ रही है। जबकि 9930 क्षेत्र में सेलिनिटी व 14079 क्षेत्र के पानी में लोहा लगातार बढ़ रहा है।
ग्रामीण इलाकों के लोग अमूमन पीने के पानी की समस्या से ज्यादा परेशान रहते हैं। और गांवों में ही पीने का पानी सर्वाधिक अशुद्ध है। चूंकि गांवों में नदी, तालाब, कुआं, हैंडपंप जैसे स्त्रोत हैं जहां का पानी लोग बगैर साफ किए पीते हैं इसकारण उन्हें ज्यादा परेशानी होती है। गांवों में पानी को साफ करने का कोई बेहतर उपाय भी नहीं है।