नेशन अलर्ट/रायपुर.
जन्माष्टमी के चार दिन बाद गोवत्स द्वादसी पर गाय बछड़े की पूजा की जाएगी। इस बार यह पर्व 23 अगस्त को मनाया जाएगा। इस दिन गाय बछड़ों की सेवा करने के साथ ही बछ बारस का भी पर्व मनाया जाएगा।
इस दिन महिलाएं अपने पुत्र की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। धार्मिक मान्यता बताती है कि इस दिन गाय और बछड़े की एक साथ पूजा की जाती है। माना जाता है कि गाय में सभी देवी-देवताओं का वास होता है। गाय की पूजा से सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलता है।
यह पर्व जन्माष्टमी के बाद मनाया जाने वाला सनातनियों का प्रमुख त्यौहार है। इस दिन गाय और बछड़े को स्नान करवाया जाता है। उन्हें नए वस्त्र ओढ़ाए जाते हैं। धूप-दीप आदि से उनकी पूजा की जाती है। ब्रज बारस की कथा सुनी जाती है।
गाय का दूध दही नहीं लेना चाहिए
मान्यता है कि इस दिन दिनभर का व्रत रखकर गौ माता की आरती करके रात में व्रत खोला जाता है। इस दिन गाय के दूध दही और चावल को ग्रहण नहीं करना चाहिए। बाजरे की ठंडी रोटी खा सकते हैं। गाय बछड़े को हरा चारा खिलाने का भी विधान है।