नेशन अलर्ट/रायपुर.
शालात्यागी विद्यार्थियों को पुन: एक बार शिक्षा की मुख्य धारा में जोड़ने का प्रयास भले ही सफलता अर्जित कर रहा हो लेकिन यह अभी भी सौ फीसद से कम ही है। हालांकि इस प्रयास के सकारात्मक नतीजे भी देखने को मिल रहे हैं।
घर की आर्थिक स्थिति, महामारी, किसी अन्य कारणों से शाला से दूर हो गए बच्चे एक बार फिर शाला वापस आने लगे इस दिशा में शासन स्तर पर कई तरह के प्रयास किए जाते हैं। इन्हें पुन: शाला से जोड़ने के प्रयासों का ही नतीजा है कि तकरीबन 85 से 95 फीसदी बच्चे एक बार फिर स्कूल का रूख करने लगे हैं।
किस सत्र में कितने बच्चे जुड़े ?
शैक्षणिक सत्र 2021-22 में प्रथम चरण में 27695 बच्चे शालात्यागी विद्यार्थियों के रूप में चिन्हांकित किए गए थे। मतलब ये वो बच्चे थे जिन्होंने किन्ही भी कारणोंवश स्कूल से दूरी बना ली थी। यह एक बड़ा और गंभीर आंकड़ा है।
शैक्षणिक सत्र 2022-23 में 13737 विद्यार्थी शालात्यागी बच्चों के रूप में चिन्हांकित किए गए हैं। इस आंकड़े को यदि 2021-22 के आंकड़े से जोड़ दिया जाए तो यह आंकड़ा एक गंभीर समस्या की ओर इशारा करता है। दोनों सत्र में कुल मिलाकर 41 हजार 432 बच्चों ने निजी कारणों के चलते शाला त्याग दी थी।
अब इन्हें जोड़ने के क्रम में जो प्रयास किए जा रहे हैं उसके भी सुखद नतीजे आने लगे हैं। शैक्षणिक सत्र 2021-22 में शालात्यागी बच्चों का कुल जमा 94.15 फीसद बच्चों को शाला से वापस जोड़ने में सफलता मिली थी। आंकड़ों के हिसाब से देखा जाए तो यह 26074 होता है।
इसी तरह का आंकड़ा शैक्षणिक सत्र 2022-23 में भी देखने को मिल रहा है। इस सत्र में 86.95 फीसदी बच्चे शाला से वापस जुड़ गए हैं। संख्या के तौर पर देखा जाए तो यह 11994 होता है। मतलब ये वो बच्चे हैं जो पढ़ना तो चाहते हैं लेकिन किन्हीं कारणोंवश इन्होंने शाला त्याग दी थी और थोड़े से प्रयास में ये वापस स्कूल से जुड़ गए।