रायपुर।
अपने मातहत जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों से कथित तौर पर दुर्व्यवहार के आरोप झेल रहे सरगुजा कलेक्टर कुंदन कुमार के मामले ने एक नए विवाद को छत्तीसगढ़ में जन्म दे दिया है। यदि बात कुंदन कुमार की हो रही है तो उन जैसे कई ‘कुंदन कुमार’ की चर्चा लाजमी ही है।
दरअसल सरगुजा कलेक्टर कुंदन कुमार पर छत्तीसगढ़ जनसंपर्क अधिकारी संघ ने एक बेहद गंभीर आरोप लगाया है। चूंकि मुख्यमंत्री के जनसंपर्क विभाग के भारसाधक मंत्री होने से जुड़े विभाग से जुड़ा मामला है इसकारण मामला अब धीरे-धीरे गंभीर हुए जा रहा है।
कलेक्टर पर दुर्व्यवहार का आरोप लगाने वाला संघ मांग कर रहा है कि उन पर उचित कार्यवाही की जाए। उसकी यह भी मांग है कि अपने अमर्यादित व्यवहार के लिए सरगुजा कलेक्टर कुंदन कुमार खेद व्यक्त करें। इन्हीं मांगों को लेकर छत्तीसगढ़ जनसंपर्क अधिकारी संघ एक बैठक कर चुका है।
इस बैठक में संघ के संरक्षक उमेश मिश्रा, प्रधान संयोजक संजीव तिवारी, महासचिव आलोक देव, संयोजक हर्षा पौराणिक, उपाध्यक्ष पवन गुप्ता व हीरा देवांगन, संगठन सचिव जितेंद्र नागेश व इस्मत दानी व राजेश श्रीवास, कोषाध्यक्ष लक्ष्मीकांत कोसरिया, प्रचार सचिव घनश्याम केसरवानी के अलावा सदस्य रविंद्र चौधरी, नितेश चक्रधारी, भवानी सिंह ठाकुर, ताराशंकर सिन्हा, रीनू ठाकुर, डॉ. दानेश्वरी, विवेक सरकार, शशिरत्न पाराशर, आर नटेश, मनराखन मरकाम, कमलेश साहू, नितिन शर्मा, सचिन शर्मा, सौरभ शर्मा सहित अन्य ने आईएएस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित किया है।
क्या है विवाद की जड़
बैठक में विवाद और उसकी जड़ पर भी बातचीत हुई थी। सरगुजा कलेक्टर कुंदन कुमार द्वारा सहायक संचालक दर्शन सिंह सिदार व सहायक सूचना अधिकारी सुखसागर वारे को कथित तौर पर दी गई धमकी पर संघ आग बबूला हो रहा है। संघ के अध्यक्ष बालमुकुंद तंबोली कहते हैं कि कलेक्टर कुंदन कुमार ने अपने मातहत उक्त दोनों व्यक्तियों के साथ अमर्यादित व्यवहार किया था।
तंबोली यहीं पर नहीं रूकते। वह ये भी बताते हैं कि कलेक्टर कुंदन कुमार ने सुखसागर वारे को अनाधिकृत रूप से अनुविभागीय दंडाधिकारी (एसडीएम) कार्यालय में संलग्न कर दिया है जिसका वह कड़े शब्दों में विरोध जताते हैं। वे कहते हैं कि घर परिवार के सुख दुख से परे बारहों महीने, चौबीसो घंटे वह शासन-सरकार की नीतियों-योजनाओं के प्रचार प्रसार में पूरी निष्ठा और कर्मठता के साथ काम करते हैं इसके बावजूद इस तरह का व्यवहार यदि उनसे किया जाएगा तो वह इसे सहन नहीं करेंगे।
और भी हैं…
यदि विवाद को सहीं मान लिया जाए तो ऐसा नहीं है कि यह एक ही ‘आईएएस कुंदन कुमार’ से जुड़ा मसला है बल्कि छत्तीसगढ़ में पहले भी और अभी भी और ‘कुंदन कुमार’ हैं। भाजपा सरकार के समय तब के एक ‘कुंदन कुमार’ ऐसे हुआ करते थे कि वह अपनी प्रशंसा और कामों को सराहनीय बताने इस हद तक जाते थे कि खबर कैसे और कब किस तरह से बनानी है यह भी जनसंपर्क अधिकारियों को बताते थे। यह ‘कुंदन कुमार’ तब प्रदेश के मुखिया से ज्यादा छपने की हसरत रखा करते थे।
एक अन्य ‘कुंदन कुमार’ भले ही आईएएस-आईपीएस न रहे हों लेकिन भाजपा सरकार के समय इनकी तूती ऐसी बोला करती थी कि यह भी मुखिया से ज्यादा छपास रोगी हुआ करते थे। तब ये अपने विभाग के फोटोग्राफर को लेकर न केवल घूमा करते थे बल्कि वह फोटोग्राफर को किस एंगल से फोटो लेनी है यह भी बताते थे। यदि फोटोग्राफर से थोड़ी सी भी गलती हो जाए तो वह उस पर वहीं बरस पड़ते थे।