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राजनांदगांव.
नगर निगम राजनांदगांव के कार्यालय अधीक्षक की लापरवाही के एक नहीं कई प्रकरण हैं. कार्यालय अधीक्षक की लापरवाही परत दर परत खुलने लगी है. अब निगम के कर्मचारियों में भी आक्रोश पनपने लगा है.
उल्लेखनीय है कि राजनांदगांव नगर निगम में कई कर्मचारी ऐसे हैं जिनसे अन्य कर्मचारियों को कई तरह की तकलीफ होती है. ऐसे ही कर्मचारी कार्यालय अधीक्षक आरवी तिवारी हैं. तिवारी की लापरवाही के किस्से अन्य कर्मचारी जगह जगह करते रहते हैं.
अवमानना की स्थिति निर्मित हुई थी
उल्लेखनीय है कि बिलासपुर उच्च न्यायालय में निगम के पूर्व लेखापाल छेदीलाल गुप्ता ने एक याचिका दायर की थी. याचिका (डब्ल्यूपीसी नंबर 4063/18) में उन्होंने शासन और अन्य को पार्टी बनाया था.
इस याचिका की सुनवाई होने के बाद जो आदेश पारित किया गया उसकी गलत व्याख्या करने का आरोप भृत्य कांतिलाल कोसरे ने अधीक्षक आरवी तिवारी पर लगाया है.
उनका यह भी आरोप है कि आदेश दिनांक 3/8/2018 की गलत व्याख्या कर आरवी तिवारी ने उच्च न्यायालय की अवमानना की स्थिति निर्मित की थी.
पूर्व में भी इसी तरह का आरोप उन पर लगाया जा चुका है. याचिका (डब्ल्यूपीसी नंबर 107/93) में याचिकाकर्ता राधेश्याम शर्मा के पक्ष में फैसला हुआ था. कोसरे बताते हैं कि इसमें भी आरवी तिवारी ने लापरवाही की थी जिससे निगम को आर्थिक क्षति हुई थी.
उनके मुताबिक तब आरवी तिवारी के विरूद्ध विभागीय जांच बैठाई गई थी. इस विभागीय जांच का फैसला आरवी तिवारी के खिलाफ आया था. तब तिवारी को आर्थिक क्षति पहुंचाने के विरूद्ध 10 हजार 739 रूपए जमा कराने का आदेश हुआ था.
बताया जाता है कि यह राशि आरवी तिवारी द्वारा निगम कोष में जमा करा दी गई थी लेकिन उन्हें भविष्य में इस तरह की पुनरावृत्ति न हो के संबंध में जो चेतावनी दी गई थी उस पर उन्होंने रत्ती भर ध्यान नहीं दिया. इसकारण बार बार ऐसी स्थिति निर्मित हो रही है.