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रायपुर.
प्रदेश में कथित तौर पर नक्सली घटनाएं बढ़ने को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह द्वारा राज्यपाल को पत्र लिखे जाने पर कांग्रेस ने तीखा हमला बोला है. कांग्रेस नक्सली समस्या पर पत्राचार को राजनीतिक नौटंकी करार दे रही है.
छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव एवं प्रवक्ता विकास तिवारी ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह को पत्र लिखने की जगह पश्चाताप करना चाहिए था. उन्हें प्रदेश की जनता से नक्सलवाद को फैलाने के लिए माफी भी मांगनी चाहिए थी.
माटीपुत्र, धरतीपुत्र कह कर करते थे संबोधित
तिवारी ने कहा कि रमन राज के 15 सालों में नक्सलवाद जो कि बस्तर के कुछ ही जिलों में था बढ़कर समूचे छत्तीसगढ़ में फैल गया. डॉ रमन सिंह के गृह जिले राजनांदगांव में भी नक्सलियो ने अपनी मजबूत पकड़ बना ली थी.
उनके अनुसार पूरे विश्व में छत्तीसगढ़ की छवि नक्सलियों के गढ़ के रूप में की जाने लगी थी. पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह नक्सलियों को माटी पुत्र, धरतीपुत्र कहकर संबोधित करते थे जबकि नक्सली सीआरपीएफ, सेना, पुलिस के जवान, आदिवासियों और अन्य लोगों की निर्मलता से हत्या किया करते थे.
विकास बताते हैं कि वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सुशासन के चलते छत्तीसगढ़ राज्य में नक्सली हमलों में 48 प्रतिशत की कमी आई है. बस्तर में किसानों को जमीन पर भाजपा सरकार द्वारा बलात अधिग्रहण कर लिया गया था जिसे भूपेश सरकार ने लौटा दिया.
वे कहते हैं कि बस्तर और बस्तरवासियों का विकास देखकर पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह बेचैन हो उठे हैं. अपने 15 सालों की असफलताओं को छुपाने और पर्दा डालने के लिए राज्यपाल से पत्राचार कर रहे हैं.
पूरी नक्सली घटनाओं की याद दिलाते हुए कांग्रेस प्रवक्ता विकास तिवारी ने पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के नक्सल विरोधी पत्राचार और प्रलाप को राजनीतिक नौटंकी करार दिया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के कम समय के शासनकाल में ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सुशासन के चलते बस्तर अब मुख्यधारा से जुड़ कर विकास की ओर अग्रसर हो रहा है.
वे कहते हैं कि बस्तरवासियों पर अपनी पकड़ ढीली होते देखकर नक्सली भी आप बौखला उठे है. बस्तरवासी गोधन योजना के तहत गोबर की बिक्री कर रहे हैं. नरवा गरवा घुरवा बाड़ी योजना के तहत अपनी आय में वृद्धि कर रहे हैं. 25 सौ धान का समर्थन मूल्य पाकर वह पिछले 15 साल के पूर्ववर्ती रमन राज के दंश को भूलने का भी प्रयास कर रहे हैं.
यह सभी बात पूर्व मुख्यमंत्री सहित भारतीय जनता पार्टी को नागवार गुजर रही है. बस्तर में संपन्न विधानसभा के दो उपचुनावों, नगर निगम, नगर पालिका, पंचायत के चुनावों में करारी पराजय के बाद भी पूर्व मुख्यमंत्री अपने आप को आदिवासी हितैषी साबित करने में तुले हुए हैं पर आदिवासियों के साथ उन्होंने अपने पंद्रह वर्ष के शासन काल में घोर अन्याय और अत्याचार किया है जिसके लिए उन्हें प्रायश्चित करने की आवश्यकता है.