• क्यों अरविंद नेताम ने बस्तर को अलग राज्य बनाने की मांग की ?
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जगदलपुर / रायपुर.
क्या वाकई बस्तर के आम आदिवासी छत्तीसगढ़ राज्य में शोषित होते आ रहे हैं ? क्या बस्तर के पृथक राज्य बनने से यह शोषण ( यदि हो रहा है तो ) खत्म हो जाएगा ? अरविंद नेताम जोकि अभी कांग्रेस में हैं इस तरह की भाषा क्यूं बोल रहे हैं जबकि प्रदेश में कांग्रेस की ही सरकार है ? बहरहाल, मामला दंतेवाडा़ जिले का है जहां पर जुटे आदिवासियों ने पुन: पुलिस पर अनगिनत आरोप लगाए हैं.
बस्तर के दंतेवाडा़ जिले में एक जगह का नाम है श्यामगिरी. . . इसी श्यामगिरी पंचायत में पूर्व केंद्र मंत्री नेताम के अलावा सोनी सोरी के नेतृत्व में अपने बाल बच्चों सहित जुटे हजारों आदिवासियों ने एक तरह से सरकार को ( चाहे वह प्रदेश की हो अथवा देश की ) रविवार को चेतावनी दी है.
क्या थी मांग, क्या हुआ आदिवासियों के साथ
बताया जाता है कि फर्जी मामलों में गिरफ्तार आदिवासियों की रिहाई की मांग प्रमुख तौर पर उठाई गई. इसके अलावा आदिवासी अत्याचार बंद करने सहित पेशा कानून और संवैधानिक अधिकार देने की मांग प्रदर्शनकारी कर रहे थे.
नगरनार में स्थापित प्लांट के निजीकरण का विरोध जैसे मुद्दों को लेकर एक रैली निकालने के उद्देश्य से एकत्रित हुए थे. आरोप है कि इस रैली में शामिल होने बीजापुर जिले के दूर-दराज के गांव से सैकड़ों की संख्या में दंतेवाड़ा आ रहे आदिवासियों को पुलिस प्रशासन ने बलपूर्वक रोक कर रखा.
यह आरोप भी लगाया गया है कि उनके साथ मार पीटकर जंगलों में खदेड़ दिया गया. बताया जाता है कि पोटली, पालनार, गढ़मिरी में हजारों की संख्या में आदिवासियों को रोका गया. पुलिस पर बल प्रयोग का आरोप लगाया है.
पुलिसिया बलप्रयोग से छोटे बच्चे और महिलाओं सहित कई बुजुर्ग घायल बताए जा रहे हैं. आदिवासियों का यह आरोप भी है कि मारपीट कर उनमें से कुछ ग्रामीण युवक और युवतियों को पकड़कर पुलिस अपने साथ लेकर गई है. इनमें से किसी की फर्जी मुठभेड़ में भी हत्या की जा सकती है या किसी को भी किसी भी प्रकरण में फंसाया जा सकता है.
क्या कह गए अरविंद नेताम ?
बात अब अरविंद नेताम के उस वक्तव्य की जो उन्होंने घटना के बाद दिया है. पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि अब बहुत हो गया. सीधे सरल आदिवासियों को शांति से जीने और संविधान के प्रदत्त अधिकार भी नही दिए जा रहे. उल्टे उन पर डंडा चलाया जा रहा है.
नेताम यहीं पर नहीं रुके बल्कि उन्होंने सरकार को चेताया भी कि अब बस्तर की जनता यह सब नहीं सहेगी. आदिवासी अब समग्र आंदोलन करेंगे. अगर छत्तीसगढ़ सरकार नहीं सुनेगी तो अब बस्तर से अलग राज्य की मांग भी उठ सकती है.
. . . तो क्या अपनी ही पार्टी की सरकार के समय अरविंद नेताम संतुष्ट नहीं हैं ? यदि हैं तो फिर उन्होंने बस्तर के पृथक राज्य की मांग का मसला क्यूं उठाया ?