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रायपुर.
नागरिक आपूर्ति निगम ( नान ) में हुए 36 हजार करोड़ के कथित घोटाले में पूर्व आरोपी व वर्तमान सरकारी गवाह गिरीश शर्मा ने ट्रायल ट्रांसफर की मांग सुप्रीम कोर्ट में की है. इससे सवाल उठ रहा है कि ऐसा उन्होंने क्यूं कर किया ?
दरअसल, प्रदेश में कथित तौर हुआ नान घोटाला वर्षों पुराना है. रमन सरकार के समय हुए इस घोटाले को राज्य में कांग्रेस सरकार के समय भी बडा़ महत्व मिलता रहा है.
कब हुई थी सुनवाई, क्या आया था फैसला
नान घोटाले में राज्य की ईओडब्ल्यू-एसीबी ने गिरीश शर्मा को भी पहले आरोपी बनाया था जोकि बाद में शासकीय गवाह बन गए थे. इन्हीं गिरीश शर्मा के द्वारा गत दिनों सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी.
11 अगस्त को याचिका दायर की गई. 17 अगस्त को रजिस्टर्ड हुई यह याचिका 19 अगस्त को वेरिफाईड हो गई थी. इस याचिका की प्रथम सुनवाई जस्टिस रोहिटन फाली नारिमन, जस्टिस नवीन सिन्हा व जस्टिस इंदिरा बैनर्जी की बेंच में दिनांक 31 अगस्त 2020 को हुई थी.
याचिकाकर्ता की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी के तर्कों को सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने मामले को सुनवाई योग्य माना. इस आधार पर राज्य के मुख्य सचिव, ईओडब्ल्यू-एसीबी के एसपी, विशेष जांच दल ( एसआईटी ) के पुलिस अधीक्षक ( एसपी ) सहित संयुक्त सचिव अनिल टुटेजा व प्रमुख सचिव डा. आलोक शुक्ला को नोटिस भेजने का आदेश पारित किया था.
आरोपी प्रभावित कर सकते हैं जांच
कोर्ट कचहरी से जुडे़ जानकार बताते हैं कि गिरीश शर्मा पूर्व में भी आरोपियों द्वारा जांच प्रभावित करने की आशंका जता चुके हैं. संभवत: इसी के मद्देनज़र उन्होंने इस मर्तबा नान घोटाले की सुनवाई को छत्तीसगढ़ से बाहर स्थानांतरित करने की मांग की है.
यदि ऐसा होता है तो है तो यह छत्तीसगढ़ की प्रशासनिक व राजनीतिक छवि पर असर कर सकता है. अपनी जान को खतरा बताने वाले गिरीश शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर नान घोटाले को पुनर्जीवित कर दिया है. अब सुप्रीम कोर्ट पर न्याय चाहने वालों की निगाहें टिकी हुई है.