क्या छत्तीसगढ़ में फिर आईएएस गिरफ्तार किए जाएँगे ?

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नेशन अलर्ट/9770656789
रायपुर.

अखिल भारतीय सेवा के प्रशासनिक अधिकारियों के दिन अब तक राज्य में नहीं सुधर पाए हैं. पहले से दो आईएएस जेल दाखिल हैं तो वहीं दूसरी ओर तीन आईएएस बडी़ मुसीबत में फँसते नज़र आ रहे हैं. अफसरशाही के बीच सँभावना/आशंका जताई जाने लगी है कि राज्य की एसीबी – ईओडब्यू कभी भी गिरफ्तारी का अपना दायरा बढा़ सकती है.

दरअसल, सारा मामला शुरू होता है राज्य के पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कँवर की एक शिकायत से जिसे उन्होंने दिल्ली दरबार में दर्ज करवाया था. कँवर की यह शिकायत प्रदेश की पूर्ववर्ती काँग्रेस सरकार के समय की है.

शिकायत स्वास्थ्य विभाग से जुडी़ हुई है. दिसंबर 2024 का यह वही समय था जब ननकीराम अपनी शिकायत लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) सहित गृहमँत्री कार्यालय, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) व प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के चक्कर लगा आए थे.

चूँकि मामला स्वास्थ्य से जुडा़ हुआ था इस कारण पीएमओ भी तत्काल हरकत में आया होगा. बताया जा रहा है कि दिल्ली से आवश्यक व कठोर कार्रवाई के निर्देश देते हुए उक्त प्रकरण एसीबी – ईओडब्यू यूनिट को स्थानांतरित कर दिया गया.

13 मार्च 2024 से फिलहाल एसीबी – ईओडब्यू चीफ आईपीएस अमरेश मिश्रा हैं. यह वही आईपीएस मिश्रा हैं जोकि दुर्ग, रायपुर जैसे प्रभावशाली जिलों में पुलिस कप्तान रहने के साथ साथ उस कोरबा जिले के भी एसपी रह चुके हैं जिसे कोयले की खान माना जाता है.

मिश्रा 2005 बैच के आईपीएस हैं. वह प्रदेश में काँग्रेस सरकार के आते ही प्रतिनियुक्ति पर केंद्र की सेवा में चले गए थे. वहाँ से उनकी वापसी सीधे राज्य में भाजपा की सरकार आने पर ही हुई. यहाँ आते ही उन्हें उस रायपुर रेंज का आईजी बना दिया गया जो बेहद सँवेदनशील है.

खैर, आईपीएस मिश्रा के नेतृत्व वाली ईओडब्यू ने मामले में एक अपराधिक प्रकरण दर्ज किया. इसमें उसने धरसींवा, रायपुर के ग्राम तर्रा से सँचालित हो रही श्री शारदा इंडस्ट्रीज के साथ साथ जीई रोड़ दुर्ग स्थित सीबी कार्पोरेशन, गँजपारा दुर्ग स्थित मोक्षित कार्पोरेशन के अलावा छग मेडिकल सर्विसेज कार्पोरेशन लिमिटेड रायपुर (सीजीएमएससी) को आरोपी बनाते हुए अपनी जाँच प्रारँभ की.

जाँच शुरू होते ही श्री शारदा इंडस्ट्रीज में ताला लटकने लगा. इस फर्म का सँचालक किसी आरके नामक व्यवसायी को बताया जाता है. कँपनी अस्थाई तौर पर बँद बताई जा रही है. इसने अँतिम मर्तबा 5 जून 2024 को अपना कर जमा किया था. विभागीय सूत्र बताते हैं कि यह कँपनी एक जुलाई 2017 को ही जीएसटी के दायरे में आई थी.

एक छापे से खुलते गई पोल . . .

जनवरी 27 . . . यह वही तारीख थी जब एसीबी चीफ अमरेश मिश्रा ने अपनी विश्वसनीय टीम को छापे के लिए रवाना किया. इस टीम ने राज्य के भीतर तो छापे डाले ही बल्कि राज्य से बाहर पँचकुला, हरियाणा में रिकार्डर्स एँड मेडिकेयर सिस्टम (एचएसआईआईडीसी) के दफ़्तर को भी छापे के दायरे में ले लिया.

मोक्षित कार्पोरेशन के एमडी बताए जाने वाले शशाँक गुप्ता के बँगले सहित उनके कारोबारी साझेदारों, फैक्ट्री के अलावा तकरीबन 16 दीगर स्थानों पर राज्य की ईओडब्यू ने छापा डाला था. इतने महत्वपूर्ण दस्तावेज उसके हाथ लगे थे कि वह सीजीएमएससी दफ़्तर तक पहुँच गई. सारा खेल इसी दफ़्तर के सहयोग से खेला गया था.

चूँकि बात यहाँ पदस्थ रहे आईएएस अफसर्स की थी इस कारण एसीबी – ईओडब्यू ने राज्य सरकार से बीते दिनों इनसे पूछताछ के लिए अनुमति माँगी थी. जैसे ही उसे राज्य सरकार ने यह अनुमति दी उसने तीन आईएएस को नोटिस जारी करते हुए पूछताछ करने तलब कर लिया.

10 घँटे सवालों से जूझते रहे आईएएस भीमसिंह . . .

बहरहाल, हेल्थ डायरेक्टर रहे आईएएस भीमसिंह गुरूवार को दस घँटे तक ईओडब्यू के दफ़्तर मेंं उन सवालों का सामना करते रहे जोकि उनसे पूछे जा रहे थे. गौरतलब है कि भीमसिंह मूलतः हरियाणा के निवासी हैं और एचएसआईआईडीसी का मुख्यालय भी पँचकुला हरियाणा का ही बताया जाता है. आईएएस सिंह पहले से विवादित अधिकारी रहे हैं.

मोक्षित कार्पोरेशन के निदेशक शशाँक चोपड़ा को जेल भेजने के बाद भीम सिंह के अलावा जिन अधिकारियों की भूमिका सँदिग्ध मानी जा रही है उनमें आईएएस चँद्रकाँत वर्मा और आईएएस पद्मिनी भोई के भी नाम शामिल बताए जा रहे हैं. पद्मिनी राज्य प्रशासनिक सेवा से पदोन्नत होकर आईएएस बनीं हैं. भीम सिंह व पद्मिनी पूर्व में राजनांदगाँव में पदस्थ रह चुके हैं.

बहरहाल, आनँद राव, कमलकाँत पाटनवार, क्षिरौंद्र रावटिया, डा. अनिल परसाई, बसँत कौशिक, मीनाक्षी गौतम सहित एक अन्य आईएफएस अफसर से आने वाले दिनों में पूछताछ हो सकती है. माना जा रहा है कि इस पूरे प्रकरण में अभी कईयों की गिरफ्तारी भी होनी है. देखिए किस किस का नँबर लगता है.
(आने वाले दिनों में किस तरह से सप्लाई में खेल किया गया इस पर खबर “नेशन अलर्ट” में पढिएगा.)