मीडिया मैनेजमेंट : पति का कर्म, पत्नी का भुगतान !

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नेशन अलर्ट/9770656789

राजनांदगाँव.

स्थानीय निकाय के चुनाव अब अँतिम चरण में पहुँच चुके हैं. सारे किए कराए का फल मिलने को है. मँगलवार को मतदान और शनिवार को मतगणना के बीच मीडिया मैनेजमेंट नामक शब्द शँकरपुर वार्ड में बरबस सुनाई पड़ने लगा है.

शहर का शँकरपुर वार्ड क्रमांक 09 सामान्य वर्ग की महिला के लिए आरक्षित है. यहाँ से भारतीय जनता पार्टी ने श्रीमती अपूर्वा श्रीवास्तव को उम्मीदवार बनाया है. वह समीर श्रीवास्तव की धर्मपत्नी हैं.

काँग्रेस ने शँकरपुर वार्ड से मृदुभाषी, मिलनसार, महिलाओं के बीच लोकप्रिय कुसुम दुबे को अपना प्रत्याशी बनाया है. कुसुम के पति रूपेश दुबे का नाम मीडिया के बीच जानामाना है.

दरअसल, रूपेश दुबे विगत कई वर्षों से काँग्रेस के मीडिया सेल का काम घोषित अघोषित तौर पर देखते रहे हैं. बडी़ मेहनत से उन्होंने यह स्थान अर्जित किया है. उदय मुदलियार के साथ और उदय मुदलियार के बाद भी रूपेश कभी मेहनत से पीछे नहीं हटे.

करुणा – गिरीश का समय याद करा रहे . . .

युवा पत्रकार उत्तम पाँडे कहते हैं कि पहले श्रीमती करूणा शुक्ला के समय जो नाइँसाफी हुई वह पत्रकार भूले नहीं हैं. इसके बावजूद पिछले चुनाव में फिर वही रूपेश दुबे को मीडिया मैनेजमेंट का काम दिया गया जोकि पसँदीदा पत्रकारों के अलावा दीगर पत्रकारों से बात भी नहीं करते थे.

राजनांदगाँव के एक अन्य पत्रकार लोकेश सवानी के सुर भी कुछ ऐसे ही हैं. लोकेश एक समाचार पत्र का सँपादन करते हैं. वह कहते हैं कि काँग्रेस के मीडिया मैनेजमेंट का फल इस चुनाव में रूपेश से ज्यादा उनकी पत्नी कुसुम दुबे को भुगतना पड़ रहा है.

इससे ज्यादा बहुत कुछ पत्रकार कह गए. लेकिन “नेशन अलर्ट” अपनी सीमा का ध्यान रख रहा है. इसके बावजूद वह यह बताने से सँकोच नहीं कर रहा है कि नाते रिश्तेदारों से लेकर शँकरपुर निवासी मित्रों को पत्रकार आगाह कर रहे हैं वोट सोच समझ कर करिएगा.

चुनाव विश्लेषक हेमंत ओस्तवाल कहते हैं कि रूपेश दुबे के गहरे राजनीतिक रिश्तों का आँकलन यह चुनाव करेगा. कुसुम दुबे की सक्रियता उन्हें जरूर फायदा पहुँचाएगी. दोनों वकील हैं इसका फायदा उन्हें मिल रहा है.

बहरहाल, इस वार्ड में दो और प्रत्याशी हैं. प्रियंका वर्मा झाडू चुनाव चिन्ह लेकर आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार हैं. जबकि निर्दलीय सुधा कश्यप को हाँडी चुनाव चिन्ह मिला है. वार्ड के भीतर दोनों की मौजूदगी चुनाव लड़ने उनकी गँभीरता दर्शाती है.

यह दोनों जितनी मजबूत होंगी चुनावी नतीजा उतना ही प्रभावित होगा. 15 फरवरी के पहले चारों में से कोई भी उम्मीदवार जीत हार को लेकर सँशय की स्थिति में भले ही हो लेकिन मीडिया मैनेजमेंट पीडि़त पत्रकार तयशुदा जीत हार बता रहे हैं. देखिए होता है क्या . . ?