पीएससी से हारा फौजी चुनावी मैदान में . . .
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राजनांदगाँव.
भ्रष्ट तरीके से हुई राज्य प्रशासनिक सेवा परीक्षा में मिली असफलता को उसने अपने ऊपर हावी होने नहीं दिया. दरअसल, वह फौजी है. किसी भी परिस्थिति में लड़ना उसकी फितरत में शामिल है. जीत हार की चिंता किए बगैर वह कल तक सीमा पर देश के लिए लड़ रहा था और आज खुद के लिए लड़ रहा है.
जी हाँ . . . यहाँ बात उस फौजी भाई की हो रही है जिसे सीमा जितनी पसँद थी उतनी ही पसँद चुनाव मैदान है. वार्ड 41 से देवेन्द्र कुमार देवांगन नामक एक शिक्षित युवा इस बार पार्षद पद के लिए मैदान में उतरा है.
देवेन्द्र का मुकाबला भाजपा काँग्रेस के अलावा अन्य दो निर्दलीय प्रत्याशियों के साथ हो रहा है. देवेन्द्र ने भाजपा से टिकट चाही थी लेकिन वह उन्हें नहीं मिल पाई. देवेन्द्र इसे गलत भी नहीं मानते क्यूं कि पार्टी को पहले कार्यकर्त्ताओं का ध्यान रखना चाहिए. ऐसा वह मानते हैं.
इसके बावजूद वह चुनाव मैदान में क्यूं हैं ? इस सवाल का जवाब वह नहीं बल्कि उनके साथ चुनाव प्रचार में लगे युवा यह कहते हुए देते हैं कि हम वार्डवासियों का देवेन्द्र ने मान रख लिया.

देवेन्द्र इसे स्पष्ट करते हुए बताते हैं कि वार्डवासियों की इच्छा थी कि वह चुनाव लडे़ं. उनकी ही मर्जी से अब मुझे चुनाव मैदान में कूदना पडा़ है. मोहल्ले के बडे़ बुर्जुग, युवा साथी उनके चुनाव के स्टार कैंपेनर हैं.
देवेन्द्र अपने बारे में बताते हैं कि 2004 में सेना में भर्ती हुए थे. पिछले साल सितम्बर में वह सेना से सेवानिवृत हुए हैं. माँ सब्जी बेचा करती थी. 2011 में वह शाँत हो गईं.
देवेन्द्र के पिताजी टेलरिंग का काम करते हैं. देवेन्द्र से छोटे 3 और भाई हैं. बडे़ भाई की मौत 2015 में हो गई थी. देवेन्द्र से बडी़ उनकी एक बहन भी हैं जिनकी शादी हो चुकी है.
बहरहाल, देवेन्द्र सेना की सेवा के बाद प्रशासनिक अधिकारी बनकर समाज सेवा करना चाहते हैं/थे. छत्तीसगढ़ पीएससी की विवादित परीक्षा में उनका चयन महज आधे अँक से होने से रह गया.
चूँकि वार्ड की जनता उन्हें चुनाव लडा़ चाह रही थी इस कारण वार्ड के ओबीसी के लिए आरक्षित होने पर वह चुनावी मैदान में उतर गए. नहीं तो उन्होंने रविवार को ही पीएससी द्वारा आहूत की गई परीक्षा में परचा दिया है.
अब देखना होगा कि उनकी कलम चलती है अथवा वह बल्ला जो उन्हें निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में बतौर चुनाव चिन्ह मिला है. हालाँकि उनका मुकाबला भाजपा काँग्रेस के साथ साथ दिलीप के टेलीफोन और रमेश के ब्लैक बोर्ड से हो रहा है.
कौन कौन मैदान में . . .
दीपक कुमार सिन्हा – काँग्रेस
सतीश कुमार साहू – भाजपा
दिलीप सिन्हा – निर्दलीय
रमेश यादव – निर्दलीय