लखमा का तँत्र मँत्र और बस्तर की खिलाफत !
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जगदलपुर/रायपुर.
प्रदेश के पूर्व आबकारी मँत्री कवासी लखमा अपने जीवन के सँभवतः सबसे बुरे दिनों से गुजर रहे हैं. एक ओर जहाँ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की गिरफ्त में वह हैं तो दूसरी ओर उन्हें उस मँदिर से भी सहयोग नहीं मिल पा रहा है जिस पर उन्हें अटूट विश्वास रहा है. और तो और इसी मँदिर से उनके खिलाफ, अब खिलाफत की खबरें सुनाई देने लगी हैं.
जगदलपुर से कोंटा जाने वाले राजमार्ग को बस्तर में जेके मार्ग के नाम से जाना जाता है. जेके मार्ग में सुकमा से तकरीबन 12 किलोमीटर दूर एक गाँव बसता है जिसका नाम रामाराम है.
राजमार्ग से तकरीबन डेढ़ किलोमीटर अँदर की ओर इसी रामाराम गाँव में एक मँदिर है जिसे चिटमिट्टीन अम्मा देवी मँदिर के नाम से गाँव वाले मानते हैं. यह गाँव और मँदिर तब अकस्मात चर्चा में आया जब पूर्व आबकारी मँत्री गिरफ्तार किए गए.
हरीश की मौजूदगी में तँत्र मँत्र का विरोध . . .

लखमा परिवार से जुडे़ रहे सूत्र बताते हैं कि कवासी लखमा के कथित शराब घोटाले और ईडी के चक्कर में पड़ते ही उन्हें रामाराम गाँव का चिटमिट्टीन अम्मा देवी मँदिर याद आया. इस मँदिर में लखमा परिवार की सलामती के लिए बीते दिनों एक तँत्र पूजा आयोजित की गई थी.
इस पूजा को सँपन्न कराने के लिए पडो़सी प्रदेश महाराष्ट्र के किसी गाँव से ताँत्रिक बुलवाए गए थे. ताँत्रिकों को पूजा पूरी कर आखिर में कोई बलि भी देनी थी.
यह सब ताँत्रिक कार्य सुकमा जिला पँचायत अध्यक्ष हरीश लखमा की मौजूदगी में किए जा रहे थे. अचानक ही गाँव के इस मँदिर का माहौल बदल गया.
लगभग चार से पाँच सौ लोगों ने मँदिर में चल रही तँत्र पूजा का खुलकर विरोध किया. विरोध इतना प्रबल था कि जो भी पूजा अथवा तँत्र मँत्र किया जा रहा था उसे बीच में ही रोक देना पडा़.
रामाराम व पडोसी गाँवों के ग्रामीणों के तेवर देखकर ताँत्रिक भी सहम गए थे. मुख्य ताँत्रिक ने मँदिर के पुजारी से अनुमति लेने की बात कही थी लेकिन वह भी विरोध के बीच दब गई.
अंततः मुख्य ताँत्रिक को यह कहना पडा़ कि वह अपने द्वारा की गई तैयारियों जिसमें हवन कुँड आदि तैयार किया गया था, को अभी हटा लेंगे. साथ ही साथ उन्होंने माफी भी माँगी.
यह सब घटनाक्रम तब हुआ जब पूर्व मँत्री लखमा के सुपुत्र हरीश भी चुपचाप जमीन पर बैठे हुए थे. जानकार बताते हैं कि ताँत्रिक के साथ साथ हरीश ने भी ग्रामीण से माफी माँग कर उनके आक्रोश को किसी तरह शाँत किया.
दो सौ साल पुराना है मँदिर . . .

बस्तर और मँदिर की जानकारी रखने वाले बताते हैं कि इसकी स्थापना सन 1834 में हुई थी. यह वह समय था जब सुकमा पर तत्कालीन शासक रामराज देव का शासन हुआ करता था.
यह मँदिर रामाराम गाँव के पास है इस कारण देवी का प्रचलित नाम रामारामिन देवी हो गया. उस पहाड़ी की तलहटी पर यह मँदिर स्थित है जहाँ आज भी करीब तकरीबन 500 वर्ष पुराने भग्नावशेष मौजूद हैं.
मँदिर में बस्तरवासियों की जबरदस्त आस्था है. पुरखों द्वारा बताई गई बातों के आधार पर ग्रामीण कहते हैं कि श्री राम ने अपने वनवास काल के दौरान रामाराम मंदिर में भू—देवी की आराधना की थी.
पुराने भगत हैं कवासी . . .
इस मँदिर और लखमा परिवार के जानकार बताते हैं कि कवासी लखमा, चिटमिट्टीन अम्मा देवी मँदिर के पुराने भगत रहे हैं. समय समय पर उन्होंने व उनके परिजनों ने यहाँ आकर विधिविधानपूर्वक धार्मिक क्रियाकलाप पूर्ण किए हैं.
वर्ष 2023 के फरवरी माह में ही वह प्रदेश के मँत्री की हैसियत से इस मँदिर में आए थे. तब यहाँ धार्मिक मेला लगा हुआ था. उस वक्त उन्होंने माता चिटमिट्टीन की पूजा व आरती कर प्रदेश की खुशहाली व शांति की प्रार्थना की थी.

मँदिर प्राँगण में उन्होंने पुजारियों से भेंट की थी. बाहर से आए देवी – देवताओं के भी दर्शन कर आशीर्वाद लिया था. राजपरिवार के सदस्य व मँदिर कमेटी के ट्रस्टी मनोज देव व किरण देव से भी लखमा ने उस समय भेंट की थी.
बहरहाल, कवासी को आज दोपहर ईडी ने न्यायालय में पेश किया था. कोर्ट ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक रिमांड पर वापस जेल भेज दिया है. रिमांड पूरी होने पर वह कोर्ट के समक्ष वापस 5 फरवरी को पेश किए जाएँगे.
उन पर आरोप है कि उन्होंने अपने मँत्री रहते हुए कथित शराब घोटाला होने दिया. इससे एक आँकलन के मुताबिक सरकार को 2161 करोड़ का नुकसान हुआ था.
स्वयं को जेल ले जाए जाने के दौरान कवासी ने खुद को पाकसाफ बताया है. पत्रकारों से सँक्षिप्त बातचीत में उन्होंने कोर्ट पर भरोसा जताया है.
इस अवसर पर उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें साजिश के तहत फँसाया गया है. लेकिन एक रोज सच्चाई बाहर आएगी. वे बार बार अपने आपको निर्दोष बता रहे थे.